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10 Nov 2017 · 1 min read

सुनो रंगबाज

सुनो रंगबाज
तुम आदत से बाज नहीं आओगे
अपनी कला दिखाते रहे
कभी रंगों से
कभी रेतों पे
उस से भी मन ना भरा
तो सीख लिए
पानी में कलाबाजी करना
डूबते हुए जीवन को बचाना
कोई हाेता है क्या इतना भी
ह्रदय स्पर्शी कलाकार??
क्या मेरे प्रश्न का उत्तर दोगे??
अल्पआयु से ही करते रहे
निस्वार्थ सब की सेवा
गाँव की
समाज की
आम नागरिक की
सरकारी अधिकारी की
तरह तरह की करतब दिखाते रहे
कहो??
क्या पाया??
और क्या मिला??
तुम सादे कागजों पे
लिखते रहे
जिंदगी
सवप्न
संवेदना
अर्थ
अभीष्ट
अपने हाथों की लकीरों से
और हम नासमझ
मात्र देखा किये
फूल पत्ती
इंसानी चेहरा
नर
नारी
चिड़ियां
हम देखते रहे तुम्हारी
कलाकृतियों में बारीकियां
पर ढूढ़ ना पाये
इन चटक रंगों में
तुम्हारी उदासी को
अनुराग को
समझ ना सके
तुम्हारी आंतरिक व्यथा को
तुम भटकते रहे तीर पर
जलचर बनकर
करते रहे अप्रत्याशित
हृदय विदारक कार्य
ना मृत्यु का भय
ना जीवन का मोह
तुम अध्यवसायी होके भी
अकिंचन रहे
क्या ये तुम्हारा दोष है?
कि तुम त्याज्य हो
या फिर लाचार निष्ठुर है
यहाँ की
संस्था
समाज सेवक
अवसरवादी
उच्च अधिकारी
या खुद शासन प्रबंध
या फिर हम समाज
ये समझ ले
कि कलाकार
का अर्थ ही होता है
आत्महत्या!!!

Language: Hindi
406 Views
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