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17 Sep 2017 · 1 min read

सावन का मौसम ( दोहे )

कारे कारे बादरा ले गयी पवन उड़ाय।
ना बरखा ना साजना सावन सूखो जाय।

रंगीलो सावन आयो , धरा हरी चुनरिया।
गगन हो गया मस्त मगन, बरसे है बदरिया।।

देख के बुंदियाँ बारिश की, यूं मन मोरो रोय।
बरखा की पुरवा तेरी, याद दिलावत मोय।।

मौसम है यह सावन का,रोवत हम दिन रैन।
बिन तुमरे हर पल रहता, मनवा मेरा बेचैन।।

–रंजना माथुर दिनांक 29/07/2017
(मेरी स्व रचित व मौलिक रचना)
©

Language: Hindi
392 Views
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