” ——————————— संग हवा लहराऊँ ” !!
” —————————– संग हवा लहराऊँ !! ”
आज कंगनवा हठ कर बैठे , कैसे हाथ चढ़ाऊँ !
आज लगे श्रृंगार अधूरा , कैसे मन समझाऊँ!!
सतरंगी सपने आंखों में , करते धींगा मस्ती !
नेहपगी पलकें बोझिल हैं , कैसे में झपकाऊँ !!
उलझन भटकन साथ खड़ी है , यह अधीरता कैसी !
जैसे ही तुम नाम पुकारो , बलिहारी मैं जाऊँ !!
वासन्ती चूनर ओढ़ी है , भाव सजे रंगीले !
बाट जोहती खुशहाली को , मैं तो अंग लगाऊँ !!
हर आहट पर कान बजे हैं , बजती है पैंजनिया !
रोम रोम में सिहरन ऐसी , संग हवा लहराऊँ !!
हौले से तेरा सन्देशा , जैसे हाथ लगा है !
ऐक मधुर ऐहसास लिए अब , चहकी चहकी जाऊँ !!
तेरे नाम किये हैं मैंने , रातजगे बहुतेरे !
अँखियों ही अँखियों में तुझको , भोर आज दिखलाऊँ !!
बृज व्यास