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3 Nov 2017 · 1 min read

” ——————————— संग हवा लहराऊँ ” !!

” —————————– संग हवा लहराऊँ !! ”

आज कंगनवा हठ कर बैठे , कैसे हाथ चढ़ाऊँ !
आज लगे श्रृंगार अधूरा , कैसे मन समझाऊँ!!

सतरंगी सपने आंखों में , करते धींगा मस्ती !
नेहपगी पलकें बोझिल हैं , कैसे में झपकाऊँ !!

उलझन भटकन साथ खड़ी है , यह अधीरता कैसी !
जैसे ही तुम नाम पुकारो , बलिहारी मैं जाऊँ !!

वासन्ती चूनर ओढ़ी है , भाव सजे रंगीले !
बाट जोहती खुशहाली को , मैं तो अंग लगाऊँ !!

हर आहट पर कान बजे हैं , बजती है पैंजनिया !
रोम रोम में सिहरन ऐसी , संग हवा लहराऊँ !!

हौले से तेरा सन्देशा , जैसे हाथ लगा है !
ऐक मधुर ऐहसास लिए अब , चहकी चहकी जाऊँ !!

तेरे नाम किये हैं मैंने , रातजगे बहुतेरे !
अँखियों ही अँखियों में तुझको , भोर आज दिखलाऊँ !!

बृज व्यास

Language: Hindi
Tag: गीत
293 Views
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