Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2021 · 2 min read

षोडश दोहा वृष्टि

शीतलता चारों तरफ़, आई बरखा झूम
मन उपवन में कोकिला, कूक मचाये धूम // 1. //

प्रेम मयूरा नाचता, आग लगी घनघोर
बारिश में तन भीगता, हिया मचाये शोर // 2. //

दृश्य विहंगम सामने, ज्यों रिमझिम बरसात
कलरव की मधुरिम छटा, कुदरत की सौगात // 3. //

घुलता तन में प्रेम रस, बहकी जाये रात
रुक जाओ तुम प्रियतमा, थमे नहीं बरसात // 4. //

बाँहों में सिमटे प्रिये, गरजे ज्यों-ज्यों मेघ
तन-मन दोनों भीगते, बरसे ज्यों-ज्यों मेघ // 5. //

वर्षाऋतु घनघोर है, उत्पन्न प्रलयकाल
कड़क रही है दामिनी, रूप बड़ा विकराल // 6. //

फुदक-फुदक कर मेढ़की, टर्राये दिन-रात
सबको ही सूचित करे, आई है बरसात // 7. //

इंद्रधनुष मन मोहता, किरण लालिमा युक्त
रवि मेघों के मध्य में, वर्षा से उन्मुक्त // 8. //

रिमझिम जब वर्षा हुई, आँख खुली तब भोर
तन-मन बाजी प्रेमधुन, सब बन्धे इक डोर // 9. //

प्यासी धरती को मिले, वर्षा ऋतु से प्राण
मदमस्त सृष्टि झूमती, चले प्रीत के बाण // 10. //

ताल सरोवर जल भरे, बारिश का आभार
हरियाली सर्वत्र है, कण-कण बरसा प्यार // 11. //

पानी के संगीत से, बजते मन के तार
वर्षा की बूँदें करें, पृथ्वी का उद्धार // 12. //

सूखी नदियाँ उफनती, है जलवृष्टि प्रताप
ग्रीष्म दोष से मुक्त हम, मिटे सभी सन्ताप // 13. //

कोई छतरी तानता, ज्यों बरसी बरसात
गोरी चूनर ओढ़ती, छिड़ी प्रेम की बात // 14. //

काग़ज़ की नौका दिखी, होंठों पे फ़रियाद
बारिश में बचपन दिखा, लौटी मधुरिम याद // 15. //

वर्षाऋतु में राधिका, भीगे-भीगे श्याम
वृन्दावन में गोपियाँ, देखें जी को थाम // 16. //

–––––––––––––
1. विहंगम — विहंगम का “सुंदर” से कोई लेना-देना नहीं है। विशेषण के तौर पर इसका अर्थ है आकाश में विचरण या गमन करने वाला और इसी से उसका संज्ञा वाला अर्थ निकलता है— बादल, सूर्य, पक्षी क्योंकि यही हैं जो आकाश में गमन करते हैं।
2. दामिनी — आकाश में चमकनेवाली बिजली, तड़ित।
3. ग्रीष्म दोष — गरमी से उत्पन्न होने वाली समस्याएँ। जब इस रूखे मौसम में प्रकृति के प्राण तक सूख जाते हैं। सूर्य नदी-तलाबों या अन्य स्रोतों का जल सुखा देता है। वृक्ष-पौधों, घास-फूस से हरियाली लुप्त होने के कगार पर पहुँच जाती है। बेचैन मनुष्य, पशु-पक्षी समस्त प्राण त्राहिमाम कर उठते हैं। ऐसे में वर्षा वृष्टि पुनः वसुन्धरा में नए प्राण फूँक देती है।

22 Likes · 42 Comments · 2094 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
दर्द तन्हाई मुहब्बत जो भी हो भरपूर होना चाहिए।
दर्द तन्हाई मुहब्बत जो भी हो भरपूर होना चाहिए।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
किस क़दर
किस क़दर
हिमांशु Kulshrestha
क़ीमती लिबास(Dress) पहन कर शख़्सियत(Personality) अच्छी बनाने स
क़ीमती लिबास(Dress) पहन कर शख़्सियत(Personality) अच्छी बनाने स
Trishika S Dhara
Collect your efforts to through yourself on the sky .
Collect your efforts to through yourself on the sky .
Sakshi Tripathi
सत्य का संधान
सत्य का संधान
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
फालतू की शान औ'र रुतबे में तू पागल न हो।
फालतू की शान औ'र रुतबे में तू पागल न हो।
सत्य कुमार प्रेमी
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
जगदीश शर्मा सहज
पुस्तकें
पुस्तकें
डॉ. शिव लहरी
उसकी करो उपासना, रँगो उसी के रंग।
उसकी करो उपासना, रँगो उसी के रंग।
डॉ.सीमा अग्रवाल
बारिश की संध्या
बारिश की संध्या
महेश चन्द्र त्रिपाठी
दोस्ती और प्यार पर प्रतिबन्ध
दोस्ती और प्यार पर प्रतिबन्ध
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
जिम्मेदारी और पिता (मार्मिक कविता)
जिम्मेदारी और पिता (मार्मिक कविता)
Dr. Kishan Karigar
"इस्तिफ़सार" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कविता: माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।
कविता: माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।
Rajesh Kumar Arjun
रामलला
रामलला
Saraswati Bajpai
ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’
ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
#देश_उठाए_मांग
#देश_उठाए_मांग
*Author प्रणय प्रभात*
सरहद
सरहद
लक्ष्मी सिंह
कलियों सा तुम्हारा यौवन खिला है।
कलियों सा तुम्हारा यौवन खिला है।
Rj Anand Prajapati
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
कवि रमेशराज
वो नई नारी है
वो नई नारी है
Kavita Chouhan
जब से देखी है हमने उसकी वीरान सी आंखें.......
जब से देखी है हमने उसकी वीरान सी आंखें.......
कवि दीपक बवेजा
*वेद उपनिषद रामायण,गीता में काव्य समाया है (हिंदी गजल/ गीतिक
*वेद उपनिषद रामायण,गीता में काव्य समाया है (हिंदी गजल/ गीतिक
Ravi Prakash
तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से
तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से
gurudeenverma198
मारे ऊँची धाक,कहे मैं पंडित ऊँँचा
मारे ऊँची धाक,कहे मैं पंडित ऊँँचा
Pt. Brajesh Kumar Nayak
चंद सिक्के उम्मीदों के डाल गुल्लक में
चंद सिक्के उम्मीदों के डाल गुल्लक में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अल्प इस जीवन में
अल्प इस जीवन में
Dr fauzia Naseem shad
लाखों रावण पहुंच गए हैं,
लाखों रावण पहुंच गए हैं,
Pramila sultan
प्यार का इम्तेहान
प्यार का इम्तेहान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
2450.पूर्णिका
2450.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...