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18 Mar 2018 · 1 min read

शुभकामना नवसंवत्सर की (कविता)

नवसंवत्सर आ गया अब,
खुशियों का त्यौहार।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि,
सृष्टि सृजन आधार।
सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी दीना,
संयोगों का उपहार।
शुभकामना नवसंवत्सर की,
सब ही को बारम्बार।
नवरात्र का पावन पर्व,
शक्ति भक्ति का भाव।
व्रत, उपवास की चले साधना,
जाग्रत रहता है सद्भाव।
श्री विष्णु ने लिया आज ही,
अपना प्रथम अवतार।
शुभकामना नवसंवत्सर की,
सब ही को बारम्बार।
प्रभू श्रीराम का राज्याभिषेक,
इसी तिथि को मनाया।
युधिष्ठिर का राज तिलक,
शास्त्र सम्मत विधि पाया।
धर्मनीति की विजयश्री पर,
कहलाते धर्मराज अवतार।
शुभकामना नवसंवत्सर की,
सब ही को बारम्बार।
अवंतिका की गौरव गाथा,
गाता है हर हिन्दुस्तानी।
विक्रमादित्य की शौर्य वीरता,
घर घर में है मुंहजबानी।
सम्राट बने विक्रमादित्य भी,
अरब, यवन कंबोज ने मानी हार।
शुभकामना नवसंवत्सर की,
सब ही को बारम्बार।
अभूतपूर्व सफलता पाकर,
कृतज्ञ हुआ था भारतवर्ष।
विक्रम संवत की गणना से,
सम्पूर्ण राष्ट्र में छाया हर्ष।
स्वाभिमान और राष्ट्रीयता की,
वर्ष प्रतिपदा तिथि है यादगार।
नवसंवत्सर की शुभकामना,
सब ही को बारम्बार।
(राजेश कुमार कौरव”सुमित्र”)

Language: Hindi
725 Views
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