Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jun 2018 · 3 min read

शिव ताण्डव स्तोत्रम् का भावानुवाद

शिव ताण्डव स्तोत्रम्
सरसी छन्द-
जिनकी सघन जटाओं से है,निःसृत गंगा धार।
पड़े गले में रहते जिनके, नित सर्पों के हार।
बजा बजा जो डम डम डमरू,ताण्डव करें प्रचंड।
उन शिवजी से विनय हमारी,दो वरदान अखंड।।1
मत्त सवैया
प्रबल वेग से रहे प्रवाहित, जिनके शीश गंग की धारा।
मस्तक पर धू धू कर जलती,अग्नि सदा बनकर अंगारा।
बाल चंद्र से रहें विभूषित,छवि शंकर की नित मनुहारी।
उनसे हो अनुराग हमारा,जग जाए शिव पर बलिहारी।।2
सार छंद-
रखती हैं प्रमुदितआनंदित,जिनको शैलकुमारी।
रहती है जिन पर अवलंबित,सृष्टि सुहानी सारी।
हरते हैं भक्तों की विपदा ,सुन भोले भंडारी।
चित्त करो आनंदित मेरा, नाथ दिगंबर धारी।।3
रोला छंद-
लिपटे रहते सर्प ,शंभु की सघन जटा में।
फणि मणि कांति प्रकाश,दिखे प्रत्येक दिशा में।
तन धारे मृग -चर्म, जगत के पालन हारी।
मिले सकल आनंद,भक्ति प्रभु करूँ तुम्हारी।।4
कुकुभ छंद-
विष्णु इंद्र के शीश पुष्प शिव, चरणों में शोभा पाते।
इसीलिये तो शिव शंकर ही ,प्रभु महादेव कहलाते।
विषधर काले नाग गले में,नित जिनका सौंदर्य बढ़ाते।
विधुशेखर वे दुख हर करके,सुख समृद्धि हैं बरसाते।।5
कुंडलिया छंद-
करते हैं इन्द्रादि का,गर्व सदा प्रभु दूर।
कामदेव का दहन कर,करें दर्प को चूर।
करें दर्प को चूर, सभी देवों से पूजित।
देवनदी राकेश,शीश पर रहें सुशोभित।
सुनते भक्त पुकार,जोश हो उर में भरते।
दो भोले हर सिद्धि,विनय हम तुमसे करते।।6
बरवै छंद-
भस्म किया मनोज को,खोल त्रिनेत्र।
प्रकृति संग सृजनहार,नित हर क्षेत्र।
बनी रहे शंभु चरण, प्रीति अपार।
एक यही वर माँगू ,हाथ पसार।।7
ताटंक छंद-
कंठ अमावस रजनी सम ,जिसका रहता काला है।
शीश विराजें सुरसरि विधु कटि,बाँधी हुई मृग छाला है।
करता वह कल्याण जगत का, पी जाता दुख हाला है।
देता सबको जो सुख संपति ,वह प्रभु डमरूवाला है।।8
उल्लाला छंद
शिव कंठ पुष्ट स्कंध तो ,नीलकमल सम श्याम हैं।
हर दुख भंजक आप ही,त्रिपुरारी अभिराम हैं।।
दक्ष यज्ञ उच्छेक हे ,मारे गज अंधक असुर।
काल नियंता आप का,सुमिरन करते लोक पुर।।9
त्रिभंगी छंद-
हे शिव शुभ कर्ता,जन दुख हर्ता,सब जग भर्ता,उपकारी।
गज अंधक मारा, मदन सँहारा, हर महि भारा, त्रिपुरारी।
मख दक्ष विदारा, उमा सहारा ,जग अघ हारा ,विषपायी।
प्रभु काल नचावत,मन हरषावत,जग गुण गावत,वरदायी।।10
दोहा मुक्तक-
वेगवती अति शीश पर ,सर्पों की फुफकार।
धधके अग्नि ललाट पर ,मचता हाहाकार।
सुन मृदंग का नाद शिव,हों ताण्डव में लीन,
शिव शंकर हर वेश में ,शोभित सर्व प्रकार।।11
विष्णुपद छंद –
प्रस्तर खंड सुकोमल शय्या में,भेद नहीं माना।
मिट्टी रत्न रंक राजा को ,एक सदा जाना।
मोती हार सर्प तृण पंकज,सबको अपनाते।
समतामूलक ऐसे शिव के ,हम सब गुण गाते।।12
मत्तगयन्द सवैया
गंग कछार निवास करूँ तजि मान गुमान सदा शिव ध्याऊँ।
शीश नवा कर अंजलि धारण मातु उमा नित शीश झुकाऊँ।
मस्तक अंकित मंत्र मनोहर पाठ करूँ शिव के गुण गाऊँ।
आस यही अरदास यही शिव की शरणागति के सुख पाऊँ।।13
रुचिरा छंद-
वेणी गुम्फित पुष्पों से ,ज्यों मनहर सदा पराग झरे।
त्यों शिव तन की सुन्दरता,हर मन में नित अनुराग भरे।
मोद प्रदायक तन शोभा ,शंकर सौंदर्य निधान खरे।
शिव का अनुपम रूप सदा,मन को आनंद प्रदान करे।।14
मनहरण घनाक्षरी-
करे हर एक वस्तु,भस्म बड़वाग्नि जैसे,
उसी तरह जग का,पाप हर नष्ट हो।
आती हैं पास सिद्धियां,मिटते अभाव सब,
जीवन हो खुशहाल ,दूर हर कष्ट हो।
मधु ध्वनि संपूरित,मंगल प्रदान करे,
गायन शिव स्तोत्र का,अति श्रेष्ठ स्पष्ट हो।
पावन महान मंत्र ,जग दुख दूर करे,
मन में उल्लास भरे ,विजय उत्कृष्ट हो।।15
दोहा-
शिव ताण्डव स्तोत्र अति,पावन परम पुनीत।
पढ़ने सुनने से बढ़े ,गुरु हरि पद से प्रीत।।16

शिव पूजा के साथ जो,करे स्तोत्र का गान।
श्री हय गय से युक्त वह,हो जाए धनवान।।17
इति श्री शिव ताण्डव स्तोत्रम्
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
1 Like · 409 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मन मेरा गाँव गाँव न होना मुझे शहर
मन मेरा गाँव गाँव न होना मुझे शहर
Rekha Drolia
राधा
राधा
Mamta Rani
2837. *पूर्णिका*
2837. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अबीर ओ गुलाल में अब प्रेम की वो मस्ती नहीं मिलती,
अबीर ओ गुलाल में अब प्रेम की वो मस्ती नहीं मिलती,
Er. Sanjay Shrivastava
क्यूँ ख़्वाबो में मिलने की तमन्ना रखते हो
क्यूँ ख़्वाबो में मिलने की तमन्ना रखते हो
'अशांत' शेखर
तेरी गली से निकलते हैं तेरा क्या लेते है
तेरी गली से निकलते हैं तेरा क्या लेते है
Ram Krishan Rastogi
"सन्तुलन"
Dr. Kishan tandon kranti
।। सुविचार ।।
।। सुविचार ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
गुड़िया
गुड़िया
Dr. Pradeep Kumar Sharma
किन मुश्किलों से गुजरे और गुजर रहे हैं अबतक,
किन मुश्किलों से गुजरे और गुजर रहे हैं अबतक,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
इतिहास
इतिहास
श्याम सिंह बिष्ट
पिता
पिता
विजय कुमार अग्रवाल
फुटपाथ
फुटपाथ
Prakash Chandra
जिंदगी
जिंदगी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
☄️ चयन प्रकिर्या ☄️
☄️ चयन प्रकिर्या ☄️
Dr Manju Saini
गीत
गीत
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
हमें प्यार ऐसे कभी तुम जताना
हमें प्यार ऐसे कभी तुम जताना
Dr fauzia Naseem shad
Expectations
Expectations
पूर्वार्थ
कानून हो दो से अधिक, बच्चों का होना बंद हो ( मुक्तक )
कानून हो दो से अधिक, बच्चों का होना बंद हो ( मुक्तक )
Ravi Prakash
ज़ीस्त के तपते सहरा में देता जो शीतल छाया ।
ज़ीस्त के तपते सहरा में देता जो शीतल छाया ।
Neelam Sharma
तीन दोहे
तीन दोहे
Vijay kumar Pandey
🌹जिन्दगी🌹
🌹जिन्दगी🌹
Dr Shweta sood
इंसान को,
इंसान को,
नेताम आर सी
ठंडक
ठंडक
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
#पैरोडी-
#पैरोडी-
*Author प्रणय प्रभात*
जब तक जरूरत अधूरी रहती है....,
जब तक जरूरत अधूरी रहती है....,
कवि दीपक बवेजा
माघी पूर्णिमा
माघी पूर्णिमा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
विषय - प्रभु श्री राम 🚩
विषय - प्रभु श्री राम 🚩
Neeraj Agarwal
जब ये ख्वाहिशें बढ़ गई।
जब ये ख्वाहिशें बढ़ गई।
Taj Mohammad
कितने दिन कितनी राते गुजर जाती है..
कितने दिन कितनी राते गुजर जाती है..
shabina. Naaz
Loading...