Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2017 · 2 min read

‘‘शिक्षा में क्रान्ति’’

1 एक की तुलना दूसरे से हो रही;
हीनता के बीज सबमें बो रही,
प्रतिस्पर्धा की मूच्र्छा में डूबो रही;
‘स्वयं’ स्वयं को पाने से खो रही,
कैसे रही दिलों में तुम्हारे शान्ति;
अब कर दो – ‘शिक्षा में क्रान्ति’ ।।

2 गुलामी को जन्म देता अनुशासन;
निजता के फूल का करता दमन,
सम्पूर्ण व्यक्तित्व का होता हनन;
अतीत का रटाते रहते हैं चिंतन,
कहाॅं तक रखोगे तुम भ्रान्ति;
करनी होगी – ‘शिक्षा में क्रान्ति’ ।।

3 बाप बेटे पर ढो रहा विचार;
चीटर सिखा रहे नीति-संस्कारों का भार,
उधार ज्ञान की झेलने से मार;
आता नहीं कहीं स्वतन्त्र व्यवहार,
क्यों उनकी तरह छुपाउॅं; नहीं रही शान्ति;
आगे आकर करो – ‘शिक्षा में क्रान्ति’ ।।

4 अच्छे के लिए बुरे से शुरुआत;
दण्ड-भय-लोभ से करते हर बात,
स्मृतियों के कूडे की बना रहे जमात;
तनाव में बीत रहे सबके दिन-रात,
कहाॅं तक झेलोगे सब भ्रान्ति;
आना ही होगा करने – ‘शिक्षा में क्रान्ति’ ।।

5 महत्वाकांक्षा की जडें हर ओर आज;
पक्षपातों का चला रहे वे राज,
राजनीति की भाषा बोल रहे हैं साज;
मतलब से बात करनी सिखाता समाज,
कहाॅं तक चिल्लाओगे-शान्ति!शान्ति!शान्ति!
तुम्हीं करोगे – ‘शिक्षा में क्रान्ति’ ।।

6 ज्ञात की बात रटांए;
अज्ञात से भय बढांए,
ईष्या का रोग लगांए;
अहंकार के फूल उगांए,
अब नहीं चलेगी ये सब भ्रान्ति;
साहस से करो – ‘शिक्षा में क्रान्ति’ ।।

7 संगीतज्ञ से डाॅक्टरी पढवाते;
कवि को इंजिनियरी सिखाते,
चित्रकार से शास्त्र रटवााते;
नर्तकों में वकालत जतवाते,
बुद्धिहीन नेताओं से नहीं रही कभी शान्ति;
मिलकर करो – ‘शिक्षा में क्रान्ति’ ।।

8 लडके-लडकियों को कर दूर;
ब्रह्मचार्य के नाम दमन करते भरपूर,
प्रेम उपजे बिन उड जाए; ज्यों कर्पूर;
बलात्कार का यों बढ चला दस्तूर,
क्यों पाले बैठे हो दिलों में भ्रान्ति;
जमकर करो – ‘शिक्षा में क्रान्ति’ ।।

9 झूठे संस्कारों की होली जला दो;
निजता के झण्डे जमा दो,
पाखंडियों के मुखौटे हटा दो;
अंधविश्वासों की राहें मिटा दो,
धैर्य संग मिलाकर फिर शान्ति;
ऐसे करो – ‘शिक्षा में क्रान्ति’ ।।

10 स्मृतियों से होकर निर्भार;
विवेक से कर आंखें चार,
सबके व्यक्तित्व को स्वीकार;
हीनता को कर दो लाचार,
मिटा कर रख दो हर भ्रान्ति;
जग-कल्याण करेगी – ‘शिक्षा में क्रान्ति’ ।।

11 अन्दर से सब ज्ञान उपजाओ;
आनन्द में खूब नाचो-गाओ,
‘स्व-सौन्दर्य’ में डूबो नहाओ;
‘अस्तित्व’ संग लय-बद्ध बह जाओ,
स्वशासन से जन्मेगी सच्ची शान्ति;
रंग लाएगी – ‘शिक्षा में क्रान्ति’ ।।

12 धैर्य को दिल में बिठा लो;
निर्भय होकर होश जगा लो,
‘प्रेम-राह’ पर कदम बढा लो;
‘ध्यान-फूल’ से अमृत पा लो,
‘मौन-शान्ति’ से मिटेगी हर भ्रान्ति;
मानवता का ऐलान करेगी –
‘शिक्षा में क्रान्ति’ ।।

1 तुलना 2 स्व- अनुशासन 3 स्व-संस्कार 4 अतीत 5 महत्वाकांक्षा 6 अहंकार- ईष्या 7 दमन 8 बलात्कार 9 दोहरा-व्यक्तित्व 10 हीनता 11 स्वशासन 12 ध्यान

अपनी राय जरूर देवें-
मा० राजेश लठवाल चिडाना (नैशनल अवार्डी) 9466435185

Language: Hindi
1 Like · 594 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दिन तो खैर निकल ही जाते है, बस एक रात है जो कटती नहीं
दिन तो खैर निकल ही जाते है, बस एक रात है जो कटती नहीं
पूर्वार्थ
मन में सदैव अपने
मन में सदैव अपने
Dr fauzia Naseem shad
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
कुछ तो नशा जरूर है उनकी आँखो में,
कुछ तो नशा जरूर है उनकी आँखो में,
Vishal babu (vishu)
अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है।
अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है।
Dr MusafiR BaithA
कविता
कविता
Shweta Soni
मौन की सरहद
मौन की सरहद
Dr. Kishan tandon kranti
खजुराहो
खजुराहो
Paramita Sarangi
फ्लाइंग किस और धूम्रपान
फ्लाइंग किस और धूम्रपान
Dr. Harvinder Singh Bakshi
फ़ितरत-ए-दिल की मेहरबानी है ।
फ़ितरत-ए-दिल की मेहरबानी है ।
Neelam Sharma
*मै भारत देश आजाद हां*
*मै भारत देश आजाद हां*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*अपनी-अपनी चमक दिखा कर, सबको ही गुम होना है (मुक्तक)*
*अपनी-अपनी चमक दिखा कर, सबको ही गुम होना है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
Vishal Prajapati
Vishal Prajapati
Vishal Prajapati
मेरी बेटियाँ और उनके आँसू
मेरी बेटियाँ और उनके आँसू
DESH RAJ
शुभ गगन-सम शांतिरूपी अंश हिंदुस्तान का
शुभ गगन-सम शांतिरूपी अंश हिंदुस्तान का
Pt. Brajesh Kumar Nayak
आशा
आशा
Sanjay ' शून्य'
चंद दोहे नारी पर...
चंद दोहे नारी पर...
डॉ.सीमा अग्रवाल
* हासिल होती जीत *
* हासिल होती जीत *
surenderpal vaidya
ਹਰ ਅਲਫਾਜ਼ ਦੀ ਕੀਮਤ
ਹਰ ਅਲਫਾਜ਼ ਦੀ ਕੀਮਤ
Surinder blackpen
रामनवमी
रामनवमी
Ram Krishan Rastogi
सिंदूरी भावों के दीप
सिंदूरी भावों के दीप
Rashmi Sanjay
हिंदी दोहा- अर्चना
हिंदी दोहा- अर्चना
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
यादें
यादें
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
|नये शिल्प में रमेशराज की तेवरी
|नये शिल्प में रमेशराज की तेवरी
कवि रमेशराज
खुशियों की डिलीवरी
खुशियों की डिलीवरी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ख्वाबों में भी तेरा ख्याल मुझे सताता है
ख्वाबों में भी तेरा ख्याल मुझे सताता है
Bhupendra Rawat
खेल संग सगवारी पिचकारी
खेल संग सगवारी पिचकारी
Ranjeet kumar patre
आज इंसान के चेहरे पर चेहरे,
आज इंसान के चेहरे पर चेहरे,
Neeraj Agarwal
सफलता यूं ही नहीं मिल जाती है।
सफलता यूं ही नहीं मिल जाती है।
नेताम आर सी
ये 'लोग' हैं!
ये 'लोग' हैं!
Srishty Bansal
Loading...