बिन पैसों नहीं कुछ भी, यहाँ कद्र इंसान की
हे राम,,,,,,,,,सहारा तेरा है।
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ६)
*नदारद शब्दकोषों से, हुआ ज्यों शब्द सेवा है (मुक्तक)*
*लम्हा प्यारा सा पल में गुजर जाएगा*
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
गद्य के संदर्भ में क्या छिपा है
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी अकेले हैं।
तुंग द्रुम एक चारु 🌿☘️🍁☘️
इस दुनिया में कोई भी मजबूर नहीं होता बस अपने आदतों से बाज़ आ
असली दर्द का एहसास तब होता है जब अपनी हड्डियों में दर्द होता
कोई ना होता है अपना माँ के सिवा
अध खिला कली तरुणाई की गीत सुनाती है।
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ