Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Aug 2020 · 1 min read

शहीदों का यशगान

घनाक्षरी छंद
——————–
सीमा में डटे जवान , हथेली में रखे जान।
हिन्द के बलिहारो का, मान होना चाहिए ।
देश की बढायी शान , शहीदों का यशगान,
वाणी में मधुर तान , सदा होना चाहिए ।
गांधी सुभाष दर्शन ,जग बने पहचान ,
आजादी का ये विधान,सच होना चाहिए ।
अभी आये फरमान , नव समता तान ,
उदित हो दिनमान , बुद्ध होना चाहिए ।
—————-+++++——————-
स्वरचित –
शेख जाफर खान

13 Likes · 10 Comments · 587 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-211💐
💐प्रेम कौतुक-211💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कैसी लगी है होड़
कैसी लगी है होड़
Sûrëkhâ Rãthí
इस मुस्कुराते चेहरे की सुर्ख रंगत पर न जा,
इस मुस्कुराते चेहरे की सुर्ख रंगत पर न जा,
डी. के. निवातिया
तुम मन मंदिर में आ जाना
तुम मन मंदिर में आ जाना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बीता समय अतीत अब,
बीता समय अतीत अब,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
**जिंदगी की टूटी लड़ी है**
**जिंदगी की टूटी लड़ी है**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
#लघु_कविता-
#लघु_कविता-
*Author प्रणय प्रभात*
सुन्दरता।
सुन्दरता।
Anil Mishra Prahari
कहते हैं,
कहते हैं,
Dhriti Mishra
*बहुत ज्यादा न सुख की चाह, हे भगवन मुझे देना 【मुक्तक 】*
*बहुत ज्यादा न सुख की चाह, हे भगवन मुझे देना 【मुक्तक 】*
Ravi Prakash
पहाड़ी नदी सी
पहाड़ी नदी सी
Dr.Priya Soni Khare
ज़िदादिली
ज़िदादिली
Shyam Sundar Subramanian
होठों को रख कर मौन
होठों को रख कर मौन
हिमांशु Kulshrestha
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Kanchan Khanna
जीवन का किसी रूप में
जीवन का किसी रूप में
Dr fauzia Naseem shad
अनचाहे अपराध व प्रायश्चित
अनचाहे अपराध व प्रायश्चित
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
महबूबा से
महबूबा से
Shekhar Chandra Mitra
इंसान को,
इंसान को,
नेताम आर सी
मातृत्व
मातृत्व
साहित्य गौरव
"मेरी जिम्मेदारी "
Pushpraj Anant
स्त्री
स्त्री
Shweta Soni
हिन्द के बेटे
हिन्द के बेटे
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
सृजन के जन्मदिन पर
सृजन के जन्मदिन पर
Satish Srijan
" मैं कांटा हूँ, तूं है गुलाब सा "
Aarti sirsat
क्या खोकर ग़म मनाऊ, किसे पाकर नाज़ करूँ मैं,
क्या खोकर ग़म मनाऊ, किसे पाकर नाज़ करूँ मैं,
Chandrakant Sahu
रूप कुदरत का
रूप कुदरत का
surenderpal vaidya
"सचमुच"
Dr. Kishan tandon kranti
मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र
मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
3073.*पूर्णिका*
3073.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...