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16 Nov 2016 · 1 min read

शरद ऋतु के जंगल

शरद ऋतु के जंगल

भोर की मुस्काती बेला में
कोहरे की पतली सी चादर में
रवि रश्मि के स्वागत को आतुर
घने घने से मिले मिले से
शांत भाव से खड़े हुए से
कुछ ठिठुरते से लगते हैं
कुछ कपकपी करते से
एक अबोध शिशु की भाँति
कितने निश्छल लगते हैं
शरद ऋतु में घने जंगल ।
धूप बिखरते ही हँसते से
ओस कणों से मुँह धोकर
हरे भरे खिले खिले से
मस्तमौला पवनों के संग
सर-सर सर-सर मस्ती करते
शरद ऋतु में मस्त जंगल ।
साँझ ढले वन तपस्वी से
लगते मानों तप करते से
या फिर हैं कुछ सहमे सहमे से
रात रानी से डरे हुए से
साँय साँय की आवाज़ों से
हो भयभीत सोए हुए से
शरद ऋतु के भरे जंगल ।

डॉ रीता
आया नगर,नई दिल्ली

Language: Hindi
1 Like · 313 Views
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