Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Nov 2016 · 2 min read

वो हराभरा पेड़

कल तक यहाँ एक हरा भरा पेड़ हुआ करता था
जिसकी छाँव में गाँव के बच्चे खेला करते थे
युवाओं की नयी योजनाये बनती थी
बुजुर्गों की चौपाल लगा करती थी
हर रोज़ एक नया रंग जमता था
तमाम पक्षियों का आशियाना था वो पेड़
पक्षियों की मधुर आवाज के साथ सूरज उगता था
उनके कलरव से ही शाम ढलती थी
उसी पेड़ के नीचे बैठकर सभी सपने बुना करते थे
एक रोज़ एक सरकारी पैगाम आया
गाँव में पक्की सड़क पास हुई थी
मगर एक समस्या आन खड़ी थी
वो पेड़ सड़क के बीच में आ रहा था
ठेकेदार भी सड़क को नक़्शे से ज़रा भी नहीं हटा रहा था
गाँव कि उस सबसे बुज़ुर्ग निशानी को गिरा दिया गया.
सड़क कुछ ही आगे बढ़ी थी एक और अड़चन खड़ी हुई
बीच में सेक्रेटरी का मकान आ गया था
अगली सुबह जब हम घर से निकले तो देखा
सेक्रेटरी के पडोसी का माकन गिरा दिया गया था
और रास्ते में एक बड़ा सा मोड़ दिया गया था
जो गिरा वो एक गरीब का मकान था
वो बेचारा सिवाए रोने के कुछ कर ही नहीं सकता था
ना तो वो लड़ सकता था और ना ही विरोध कर सकता था
वो तो हालातों का मारा था
उस पर एक और मार पड़ी थी
इस तरह सड़क ने ना जाने कितने बेजुबानो का आशियाना छीन लिया
गरीब भी तो एक बेजुबान ही तो होता है
बेचारा जुबान वाला होकर भी बेजुबानो की तरह जीता है
रोज़ ना जाने कितने अपमानों का घूँट पीता है
गर वो पेड़ बोल पाता तो ज़रूर अपनी जान की गुहार लगाता
शायद सेक्रेटरी की तरह वो भी कुछ जुगत लगाता
और इतने बेजुबानों का आशियाना बच जाता
मगर वो हम मतलबी मनुष्यों के बीच में था
उसने हमे कितना कुछ दिया
हमने भी तो उसके लिए कुछ नहीं किया
आज बस अलग अलग बैठे हुए अपने अपने सपने बुनते हैं
ना किसी को कुछ बता पाते हैं
ना बुजुर्गो कि नसीहते ही सुन पाते हैं
आज जब वो बड़ा सा पेड़ नहीं है
तो हम सोचते हैं कि वो सिर्फ पेड़ नहीं था
हम सभी के जीवन कि पाठशाला था
जिसकी छाँव में हमने हमेशा कुछ न कुछ नया सीखा
वो धरोहर था हमारे गाँव की जिसे हम सहेज भी ना सके

“सन्दीप कुमार”

Language: Hindi
3 Comments · 609 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दुनियां की लिहाज़ में हर सपना टूट के बिखर जाता है
दुनियां की लिहाज़ में हर सपना टूट के बिखर जाता है
'अशांत' शेखर
मैं तो महज वक्त हूँ
मैं तो महज वक्त हूँ
VINOD CHAUHAN
तेरे जाने के बाद ....
तेरे जाने के बाद ....
ओनिका सेतिया 'अनु '
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ
sushil sarna
" ढले न यह मुस्कान "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
कभी ना होना तू निराश, कभी ना होना तू उदास
कभी ना होना तू निराश, कभी ना होना तू उदास
gurudeenverma198
छेड़ कोई तान कोई सुर सजाले
छेड़ कोई तान कोई सुर सजाले
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
परिवार
परिवार
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
“सुरक्षा में चूक” (संस्मरण-फौजी दर्पण)
“सुरक्षा में चूक” (संस्मरण-फौजी दर्पण)
DrLakshman Jha Parimal
बनाकर रास्ता दुनिया से जाने को क्या है
बनाकर रास्ता दुनिया से जाने को क्या है
कवि दीपक बवेजा
"खुदा याद आया"
Dr. Kishan tandon kranti
धनतेरस और रात दिवाली🙏🎆🎇
धनतेरस और रात दिवाली🙏🎆🎇
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दुनिया मेरे हिसाब से, छोटी थी
दुनिया मेरे हिसाब से, छोटी थी
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दिल से निभाती हैं ये सारी जिम्मेदारियां
दिल से निभाती हैं ये सारी जिम्मेदारियां
Ajad Mandori
मानस हंस छंद
मानस हंस छंद
Subhash Singhai
अपनी कलम से.....!
अपनी कलम से.....!
singh kunwar sarvendra vikram
उठे ली सात बजे अईठे ली ढेर
उठे ली सात बजे अईठे ली ढेर
नूरफातिमा खातून नूरी
2930.*पूर्णिका*
2930.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी
प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ये दिन है भारत को विश्वगुरु होने का,
ये दिन है भारत को विश्वगुरु होने का,
शिव प्रताप लोधी
मैं अपने दिल की रानी हूँ
मैं अपने दिल की रानी हूँ
Dr Archana Gupta
*जाते हैं जग से सभी, राजा-रंक समान (कुंडलिया)*
*जाते हैं जग से सभी, राजा-रंक समान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ऑन लाइन पेमेंट
ऑन लाइन पेमेंट
Satish Srijan
मुझे मुझसे हीं अब मांगती है, गुजरे लम्हों की रुसवाईयाँ।
मुझे मुझसे हीं अब मांगती है, गुजरे लम्हों की रुसवाईयाँ।
Manisha Manjari
In lamho ko kaid karlu apni chhoti mutthi me,
In lamho ko kaid karlu apni chhoti mutthi me,
Sakshi Tripathi
बंद पंछी
बंद पंछी
लक्ष्मी सिंह
* कभी दूरियों को *
* कभी दूरियों को *
surenderpal vaidya
भेद नहीं ये प्रकृति करती
भेद नहीं ये प्रकृति करती
Buddha Prakash
■ हार के ठेकेदार।।
■ हार के ठेकेदार।।
*Author प्रणय प्रभात*
!!! भिंड भ्रमण की झलकियां !!!
!!! भिंड भ्रमण की झलकियां !!!
जगदीश लववंशी
Loading...