Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jun 2021 · 2 min read

वो नारी चमत्कार है

चकित हूं सुन इक बात को,
तुझको तनिक बताऊं तो,
तू कहता है, वो तुझसे है?
मूरख तुझे जगाऊं तो।

हृदय को मर्म कर सदा,
ममता तले तुझे रखा,
सोचे तू वो कमजोर है?
न शक्ति को समझ सका।

है लौ वही तो आग की,
वो मूर्ति है त्याग की,
है शक्ति भी वो प्रेम भी,
वो कौशिकी, वो जानकी।

सम्मान जो न कर सका,
वो है छवि अज्ञान की,
पापी ना जाने नारी ही,
जनन कृता उस प्राण की।

आंसू स्वयं के पोंछ भी,
व्रत तेरे लिए कर सभी,
वो ताप में है चूल्हे पर,
भूखा न सोए तू कहीं।

कुशब्द जो उसे कहे,
वो अंधकार की कृति।
जो नर्क से भी क्रूर है,
वो दंड उसके पाप की।

है अंश को जन्म दिया,
सृजन किया, पालन किया,
वो नारी तुझसे ऊंची है,
ऐ मूढ़ तुझको भ्रम है क्या?

तू नारी को दबाता है,
तू खुद पे जो इठलाता है,
जो बेड़ियां वो खोल दे,
रक्षक तेरा विधाता है।

है वक्त अब बदल भी जा,
ऐ मूर्ख तू सम्हल भी जा,
उस नारी के बिना तनिक,
तू सोच जिंदगी है क्या!

उस नारी का सम्मान कर,
न फिर कभी अपमान कर,
जो सह के भी वो चुप रही,
वो दुख तनिक तू ध्यान कर।

उत्तर ये तू कह पाएगा?
उसकी तरह रह पाएगा?
जीवन उसे जैसा दिया,
क्या खुद कभी सह पाएगा?

आंगन खुद का छोड़ कर,
दूजे का घर सजाएगा?
उसकी तरह दूजे को क्या,
ईश्वर कभी बनाएगा?

वो घर की तेरी छावनी,
है उससे ही तो रौशनी,
अंधेर में भी ज्योत दे,
वो चांद है, वो चांदनी।

जो भूल भी हजार है,
उसका हृदय अपार है,
क्षमा करेगी जा तुझे,
वो नारी , चमत्कार है।

Language: Hindi
10 Likes · 15 Comments · 740 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नफ़रत कि आग में यहां, सब लोग जल रहे,
नफ़रत कि आग में यहां, सब लोग जल रहे,
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
ये जीवन जीने का मूल मंत्र कभी जोड़ना कभी घटाना ,कभी गुणा भाग
ये जीवन जीने का मूल मंत्र कभी जोड़ना कभी घटाना ,कभी गुणा भाग
Shashi kala vyas
🙅आज का विज्ञापन🙅
🙅आज का विज्ञापन🙅
*Author प्रणय प्रभात*
2786. *पूर्णिका*
2786. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*बारिश सी बूंदों सी है प्रेम कहानी*
*बारिश सी बूंदों सी है प्रेम कहानी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ये मतलबी दुनिया है साहब,
ये मतलबी दुनिया है साहब,
Umender kumar
यहां नसीब में रोटी कभी तो दाल नहीं।
यहां नसीब में रोटी कभी तो दाल नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
मंज़िल का पता है न ज़माने की खबर है।
मंज़िल का पता है न ज़माने की खबर है।
Phool gufran
लिखना चाहूँ  अपनी बातें ,  कोई नहीं इसको पढ़ता है ! बातें कह
लिखना चाहूँ अपनी बातें , कोई नहीं इसको पढ़ता है ! बातें कह
DrLakshman Jha Parimal
वक्त
वक्त
Shyam Sundar Subramanian
*एकांत*
*एकांत*
जगदीश लववंशी
पिता (मर्मस्पर्शी कविता)
पिता (मर्मस्पर्शी कविता)
Dr. Kishan Karigar
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अंध विश्वास - मानवता शर्मसार
अंध विश्वास - मानवता शर्मसार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ये, जो बुरा वक्त आता है ना,
ये, जो बुरा वक्त आता है ना,
Sandeep Mishra
*फागुन कह रहा मन से( गीत)*
*फागुन कह रहा मन से( गीत)*
Ravi Prakash
दिल के टुकड़े
दिल के टुकड़े
Surinder blackpen
स्याही की
स्याही की
Atul "Krishn"
यह कौन सी तहजीब है, है कौन सी अदा
यह कौन सी तहजीब है, है कौन सी अदा
VINOD CHAUHAN
बात सीधी थी
बात सीधी थी
Dheerja Sharma
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
क्या मेरा
क्या मेरा
Dr fauzia Naseem shad
दीप की अभिलाषा।
दीप की अभिलाषा।
Kuldeep mishra (KD)
* शक्ति स्वरूपा *
* शक्ति स्वरूपा *
surenderpal vaidya
रात्रि पहर की छुटपुट चोरी होते सुखद सबेरे थे।
रात्रि पहर की छुटपुट चोरी होते सुखद सबेरे थे।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
मैं इस दुनिया का सबसे बुरा और मुर्ख आदमी हूँ
मैं इस दुनिया का सबसे बुरा और मुर्ख आदमी हूँ
Jitendra kumar
सफर या रास्ता
सफर या रास्ता
Manju Singh
हौसले के बिना उड़ान में क्या
हौसले के बिना उड़ान में क्या
Dr Archana Gupta
"सोचिए जरा"
Dr. Kishan tandon kranti
हवाओ में हुं महसूस करो
हवाओ में हुं महसूस करो
Rituraj shivem verma
Loading...