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11 Jun 2019 · 2 min read

***विभूति का संघर्ष ***

।।ॐ श्री परमात्मने नमः ।।
***”विभूति का संघर्ष “***
रतनपुर गांव में एक मध्यम परिवार रहता है जिसमें तीन बहन और दो भाई है तीनों बहनो में विभूति की शादी और बहन की शादी इतेफाक से एक ही घर में ब्याही गई थी दोनों देवरानी ,जेठानी बन गए थे ।विभूति पढाई में हमेशा आगे ही रहती थी स्नातक तक की योग्यता हासिल कर ली थी।
दुर्भाग्यवश शादी के बाद विभूति को आँखों में हर्पिस नामक वायरस से संक्रमण हो गया उसकी आँखों की स्थिति बहुत ही खराब हो गई और उसे दोनों आँखों से दिखना बंद हो गया था इसके कारण जीवन अंधकारमय हो गया था विभूति के घर वाले , ससुराल पक्ष वाले सभी लोगों ने बड़े बड़े नेत्रालयों में जाकर उसकी आँखों को दिखलाया लेकिन आँख के रेटिना में खराबी आ जाने के कारण डॉक्टर मजबूर हो गए फिर भी घर के सभी लोगो ने प्रयास जारी रखा ताकि उसकी आँख ठीक हो जाय ……
सौभाग्य से विकलांग कोटे में उसे वित्तीय संस्थान में जॉब मिल गई थी वह अपनी बड़ी बहन याने जेठानी के साथ ही रहती है और पति रमेश गांव में खेती किसानी करता है विभूति से मिलने आते रहता है।
विभूति को जॉब में जाने के लिए संस्थान वाले ने वाहन की सुविधा उपलब्ध करायी गई है वह कम्प्यूटर में आवाज के सहारे कार्यों को बखूबी पहचान लेती है खाली बैठे रहना उसे पसंद नहीं है घर के अधिकतर कार्यों को खुद अपने हाथों से करती है भले ही देख नही पाती है लेकिन ज्ञाननेद्रियों के सहारे सामने वाले की दिल की बात और आने वाले खतरे का पूर्वानुमान करने में भी सक्षम है औरं अपने को बुलंद करके आँखों से दिखाई नही देने पर भी जीवन सफर में अग्रसर है …..! ! !
***तोड़ न पाये कोई हिम्मत को
खड़ी रहूँगी डटी रहूँगी
मुश्किलें कितनी भी आ जाये
अडिग विश्वास लिए हुए
आगे ही कदम बढ़ाऊंगी
स्वरचित मौलिक रचना ??
***शशिकला व्यास ***
#* भोपाल मध्यप्रदेश *#

Language: Hindi
245 Views
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