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18 Oct 2018 · 3 min read

लघुकथा

“सरप्राइज़्ड गिफ़्ट”

मि. मेहरा के लिए पदोन्नति होना आसमान को छूने जैसा था। पिता की पदोन्नति की ख़बर सुनकर रूपल के पैर ज़मीन पर नहीं पड़ रहे थे। आज खुली आँखों से वह अपने सारे सपने पूरे होते हुए देख रही थी। पापा को मोतीचूर का लड्डू खिलाते हुए वह बोली- “आपके लिए गिफ़्ट और मेरे लिए पार्टी तो बनती है ,पापा।”
“बिल्कुल, बनती है, बेटी।”
” तो पापा! आप मेहमानों की लिस्ट बनाइए और मैं पार्टी का अरैंजमेंट करती हूँ,” कह कर रूपल ने सीमा को फोन करके घर पर बुलाया और दोनों सहेलियाँ पार्टी के अरेंजमेंट में जुट गईं।
भोर के इंतज़ार में रात का एक-एक लम्हा गुज़ारना पहाड़ सा प्रतीत हो रहा था।अलार्म बजते ही रूपल ने खिड़की खोली।प्राची दिशा में उदित भानु नव चेतना का संदेश देता धरती पर अपनी स्वर्णिम आभा छितरा रहा था। मंदिर में बजती घंटियाँ और शंखनाद की ध्वनि अंतस में अद्भुत शक्ति का संचार कर रही थीं। स्नानादि से निवृत्त होकर रूपल अपने काम में लग गई।
शाम हुई। होटल डी.पैरिस में मेहमानों के स्वागत- सत्कार में तल्लीन रूपल के मुख-मंडल की आभा देखते ही बनती थी।
“किसी की ख़ातिरदारी में कोई कमी न रह जाए बेटी, ज़रा ध्यान रखना।”
“आप निष्फ़िक्र रहें पापा, मैं ख़ातिरदारी में किसी तरह की कोई कमी नहीं होने दूँगी। आप बस अपना ख़्याल रखिए।”
“वाहहहहह, मि.मेहरा, ऐसी ग्रैंड पार्टी इससे पहले किसी नहीं दी।प्रमोशन की बहुत-बहुत बधाई” बुके देते हुए मि. दुबे ने मि. मेहरा से कहा।
चारों तरफ से बधाई पाकर मि. मेहरा फूले नहीं समा रहे थे।
स्टेज पर फूलों का हार व पगड़ी पहनाकर मि. मेहरा को सम्मान प्रदान करते हुए रूपल के सरप्राइज़्ड गिफ़्ट की घोषणा की गई। लीजिए, स्क्रिन पर पेश है, रूपल का सरप्राइज़्ड गिफ्ट ….”आपबीती”
“आज मैं अपने जीवन का कड़वा सच आपके समक्ष रख रही हूँ। माना, पापा ने मेरी परवरिश में कभी कोई कमी नहीं रखी, असीम लाड़-प्यार देकर मुझे पाला है किंतु यह भी सत्य है कि बचपन से ही उन्होंने मुझसे दैहिक सुख भी प्राप्त किया है।अबोध बच्चे अच्छे- बुरे स्पर्श को नहीं समझते हैं। बड़े होने पर मैंने इसका विरोध किया तो पापा ने खुद को समाप्त करने की धमकी देकर मेरा मुँह बंद कर दिया।अपने भीतर का रुदन सुनाती भी तो किसे सुनाती? माँ की तस्वीर के अलावा मेरे अंतस के तम का पहरेदार था भी कौन? अक्सर अकेले में माँ की तस्वीर को सीने से लगाकर मैं रोती और उनसे अपने पास बुलाने की गुहार लगाकर चुप हो जाती।आत्म ग्लानि ने मेरा सुकून छीन लिया था। मैंने हिम्मत करके अपने अंतस का उत्पीड़न अपनी सहेली सीमा के सामने उद्घाटित कर दिया। उसने मेरा ढाँढस बँधाते हुए सही समय आने की प्रतीक्षा करने के लिए कहा। जब मैंने टी वी पर “मी टू” अभियान के तहत कुछ महिलाओं को बलात्कार जैसी आपबीती कहते देखा व सुना तो मेरे मन में आशा की एक उम्मीद जागी।ऐसा लगा जैसे “मी टू” के रूप में मुझे रक्षा कवच मिल गया हो। किस्मत मुझ पर इतनी जल्दी मेहरबान हो जाएगी ,इसकी उम्मीद नहीं थी।पापा की पदोन्नति की खुशी में जब मैंने पार्टी की रूपरेखा तैयार करने के लिए सीमा को घर बुलाया तो उसने सत्य का साथ देने हेतु मेरा हौसला बढ़ाते हुए मुझसे कहा कि आज अपनी आपबीती कहने का अवसर आ गया है। सरप्राइज़्ड गिफ़्ट के नाम पर तू पापा की घिनौनी हरकत सबके सामने परोस दे।उनके लिए इससे बड़ा सरप्राइज़्ड गिफ़्ट कोई दूसरा नहीं हो सकता है। सरप्राइज़्ड गिफ़्ट के नाम पर तैयार किया गया यह वीडियो ही मेरी तरफ से मेरे पापा के लिए सरप्राइज़्ड ग़िफ्ट है।”
मि. मेहरा अपनी ही पार्टी में नज़रें झुकाए अपराधी बने खड़े थे। मेहमानों की तालियों की गूँज में रूपल के साहस की भरसक सराहना सुनाई दे रही थी।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)
संपादिका- साहित्य धरोहर

Language: Hindi
370 Views
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