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8 Nov 2017 · 1 min read

रोका कदम कदम पे ही हालात ने मुझे

रोका कदम कदम पे ही हालात ने मुझे
चलना सिखाया पर मेरी औकात ने मुझे

सीली हुई हैं मेरी तो यादें भी आज तक
इतना रुलाया है तेरी हर बात ने मुझे

करना पड़ा मुआफ़ भी बस इसलिये तुझे
पिघला दिया जो मेरे ही जज्बात ने मुझे

बारिश पुरानी याद वो फिर से दिला गई
जब सँग तेरे भिगोया था बरसात ने मुझे

मेरे नसीब में नहीं थी धूप चाँदनी
जानूँ न कैसे पाला है दिन रात ने मुझे

क्या होगा जब वो सामने आएंगे ‘अर्चना ‘
बेचैन कर दिया इसी ख्यालात ने मुझे

डॉ अर्चना गुप्ता
08-11-2017

211 Views
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