Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jun 2017 · 2 min read

रुढ़ियों का आकाश [सेन्रियू संग्रह की समीक्षा]

“रुढ़ियों का आकाश” प्रदीप जी द्वारा रचित हिन्दी का प्रथम सेनरियू संग्रह
                 सेनरियूकार : प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
       समीक्षक : डाॅ. सुधा गुप्ता
प्रकाशन : माण्डवी प्रकाशन      प्रकाशन वर्ष : 2003
                          पुस्तक मूल्य : 35/—– रुपये मात्र
_________________________________________
          हाइकु विषयक गम्भीर अध्ययन के अभाव में हाइकु और सेनरियू का अन्तर स्पष्ट नहीं था । अस्तु !
           ईस्वी सन् 2003, अगस्त माह में श्री प्रदीप कुमार दाश “दीपक” का सेनरियू संग्रह “रुढ़ियों का आकाश” प्रकाशित हुआ । तरुण हाइकुकार ने अपनी संक्षिप्त भूमिका “स्वकथन” में जो कुछ कहा है, उससे सुस्पष्ट है कि दीपक जी को हाइकु-सेनरियू का वस्तु-बोध सम्बन्धी अन्तर ‘हस्तामलकवत’ है, वह पूर्णतया निभ्रांत हैं, सेनरियू-संग्रह का शीर्षक तथा शीर्षक सेनरियू भी यही उद्घोष करते हैं :
   आओ तोड़ने/रूढ़ियों का आकाश/लगा फैलने ।
           “दीपक” जी ने ‘स्वकथन’ में एक बिन्दु पर और भी बल दिया है —- “यहाँ एक बात मैं कहना चाहूँगा कि एक अच्छा व्यंग्य जहाँ हृदय को सीधा चोट करता है, वहाँ उसमें पीड़ा व करुणा के भाव भी सन्निहित रहते हैं । इस तरह देखा जाए तो एक अच्छा सेनरियूकार केवल हास्य-व्यंग्य से ही सेनरियू नहीं लिखता, अपितु वह पीड़ा-बोध अथवा करुणता-भाव से भी सेनरियू रच सकता है ।”
          “दीपक” जी के सेनरियू-संग्रह में व्यंग्य के तीखे प्रहार हैं :
      हा.. गणतंत्र / रोता रहा है गण / हँसता तंत्र ।
      लाश ही लाश/मरी आदमीयत/आदमी ज़िन्दा ।
  कुत्ते ने भौंका/सिखा दिया भौंकना/आदमी को भी ।
     कानूनी घोड़ा/जिधर फेंको पैसा/उधर दौड़ा ।
            देश की राजधानी में दिन-प्रतिदिन बढ़ते अनाचार से क्षुब्ध हृदय का तीखा व्यग्य :
     दिल्ली को हम/मानते दिल, पर/साँपों का बिल ।
     दिल्ली में चैन/संविधान खामोश/लोग बेचैन ।
              महँगाई की मार से अल्प आय वर्ग का बुरा हाल करुणा उपजाता है :
     जेब है खाली/राशन की तारीख़/आयी दिवाली ।
     सब के गाल / मँहगाई की मार / हो गये लाल ।
               राजनीति के दूषित वातावरण तथा देश के नेताओं के ‘गिरगिट चरित्र’ ने सेनरियूकार को बहुत पीड़ा पहुँचाई है :
     नेता से सीखा/थूक कर चाटना/ये भी है कला ।
     नेता रावण / लोकतंत्र सीता का / किया हरण ।
                संसद के अजीबोग़रीब हालात देख-सुन कर सेनरियूकार कह उठता है :
     उछल रहे / सड़क से संसद / भालू-बंदर ।
   तथा —-
     ख़ूनी सड़कें/धृतराष्ट्र कानून/सज़ा दे किसे ।
                साम्प्रदायिकता एवं जातिवाद के कारण समाज लहूलुहान है । “धर्म” की भूमिका पर प्रश्नचिह्न लगा है :
     बने ज़ालिम / भाइयों को लड़ाने / राम-रहीम ।
                आजादी के छप्पन वर्ष बाद भी सर्वहारा वर्ग की क्या दुरावस्था है, यह किसी से छिपा नहीं । स्कूल जाने, पढ़ने और जीवन का निर्माण करने वाली उम्र में शैशव का संताप जिन्हें झेलना पड़ रहा है, कोई उनकी करुण गाथा नहीं बाँचता :
     देश के बच्चे/कचरों के ढेर पे/भविष्य ढूँढे ।
                इस सेनरियू – संग्रह में एक सौ बारह सेनरियू हैं । सभी सशक्त, प्रभावशाली एवं अपने उद्देश्य में सफल हैं । 
                         [“पानी माँगता देश” से साभार]
_________________________________________
                             – समीक्षक : डाॅ. सुधा गुप्ता
                         “काकली” 120 बी/2 , साकेत
                                 मेरठ – 250003 (उ.प्र.)

    

Language: Hindi
529 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
स्मार्ट फोन.: एक कातिल
स्मार्ट फोन.: एक कातिल
ओनिका सेतिया 'अनु '
"हमारे शब्द"
Dr. Kishan tandon kranti
चौथापन
चौथापन
Sanjay ' शून्य'
आग हूं... आग ही रहने दो।
आग हूं... आग ही रहने दो।
Anil "Aadarsh"
ये मेरा स्वयं का विवेक है
ये मेरा स्वयं का विवेक है
शेखर सिंह
मैं तो महज शमशान हूँ
मैं तो महज शमशान हूँ
VINOD CHAUHAN
असर
असर
Shyam Sundar Subramanian
हे राम तुम्हारे आने से बन रही अयोध्या राजधानी।
हे राम तुम्हारे आने से बन रही अयोध्या राजधानी।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बाखुदा ये जो अदाकारी है
बाखुदा ये जो अदाकारी है
Shweta Soni
बदलते चेहरे हैं
बदलते चेहरे हैं
Dr fauzia Naseem shad
*शराब का पहला दिन (कहानी)*
*शराब का पहला दिन (कहानी)*
Ravi Prakash
मित्रता दिवस पर एक खत दोस्तो के नाम
मित्रता दिवस पर एक खत दोस्तो के नाम
Ram Krishan Rastogi
विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल)
विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल)
डॉ.सीमा अग्रवाल
सत्य क्या है ?
सत्य क्या है ?
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
घनाक्षरी छंद
घनाक्षरी छंद
Rajesh vyas
(11) मैं प्रपात महा जल का !
(11) मैं प्रपात महा जल का !
Kishore Nigam
सफ़र में लाख़ मुश्किल हो मगर रोया नहीं करते
सफ़र में लाख़ मुश्किल हो मगर रोया नहीं करते
Johnny Ahmed 'क़ैस'
वक्त अब कलुआ के घर का ठौर है
वक्त अब कलुआ के घर का ठौर है
Pt. Brajesh Kumar Nayak
हसलों कि उड़ान
हसलों कि उड़ान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हास्य का प्रहार लोगों पर न करना
हास्य का प्रहार लोगों पर न करना
DrLakshman Jha Parimal
"प्यासा"के गजल
Vijay kumar Pandey
मैने वक्त को कहा
मैने वक्त को कहा
हिमांशु Kulshrestha
व्यस्तता
व्यस्तता
Surya Barman
🌲दिखाता हूँ मैं🌲
🌲दिखाता हूँ मैं🌲
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
रमेशराज के 12 प्रेमगीत
रमेशराज के 12 प्रेमगीत
कवि रमेशराज
यहां कोई बेरोजगार नहीं हर कोई अपना पक्ष मजबूत करने में लगा ह
यहां कोई बेरोजगार नहीं हर कोई अपना पक्ष मजबूत करने में लगा ह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
एक अबोध बालक
एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चंद्रयान
चंद्रयान
डिजेन्द्र कुर्रे
प्रेम.......................................................
प्रेम.......................................................
Swara Kumari arya
मैं और दर्पण
मैं और दर्पण
Seema gupta,Alwar
Loading...