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21 Aug 2016 · 1 min read

राज़ की बातें

रात छत पर टहलते हुए
देखे मैंने दो चाँद
आपस में बतियाते हुए
एक जिसकी रौशनी
सारा आलम भिगो रही थी
दूसरा धड़क रहा था शायद
साँसे चल रही थी उसकी
एक दुसरे की आँखों में
आँखे डाले, टकटकी लगाये
घंटों जाने क्या देख रहे थे दोनों
दोनों की तखलीक में कई
राज़ पोशीदा थे शायद
ऐसा लगता था जैसे
कह रहे हो अपने मन की
व्यथा दोनों !!!
कुछ राज़ जो ज़माने
के लिए नहीं थे शायद
एक आसमां पर
तो दूसरा ज़मीं पर
अपनी जिंदगी के कुछ
अनसुलझे हिस्सों को
सुलझाने की नाकाम कोशिश में
अपने ग़म का बोझ
हल्का कर रही थी
बाँट कर अपना दर्द
आसमां के चाँद से …
वो एक लड़की सांवली सी ….

नज़ीर नज़र

Language: Hindi
243 Views
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