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21 Apr 2020 · 1 min read

रायबरेली में आज तूफान – जमाती

तेरी एक गलती भारी पड़ी है ,
मेरे शहर में भी आफत खड़ी है ।

जहां फूल गुलशन के फिर से महकते ,
उन्हीं गलियों में फिर जंजीरें जड़ी हैं ।

धूमिल हुई सारी कोशिशें सभी की ,
ना जाने नाटक की कैसी कड़ी है ।

जाहिल ही होगा वो पूरा का पूरा ,
जिससे हुई ये आफत बड़ी है ।

तेरी इस इबादत को क्या समझे ‘सायक’.
जो ये भी ना समझे ये दुख की घड़ी है ।

– जय श्री सैनी ‘सायक’

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