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12 Sep 2016 · 1 min read

“राग द्वेष से सुदूर चले”

चलो निदारुण शब्दों की
भींड से निकल कर ,
निनादित मौन के संग चले,
छोडकर गुंफित सृजन को
स्वच्छ निहंग व्योम के तले ,
विहग संग धरा से उठ कर
राग- द्वेष से सुदूर चलें |
…निधि …

Language: Hindi
1 Like · 397 Views
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