Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Apr 2017 · 7 min read

रमेशराज के विरोधरस दोहे

फूल उगाने के लिए खुशबू के जल्लाद
बना रहे हैं आजकल जनता को ही खाद |
+रमेशराज

जनरक्षा की ओर अब तू कविता को मोड़,
आयी जो रुखसार पर लट का झंझट छोड़ |
+रमेशराज

जाति-धर्म का चढ़ गया सब पर आज जूनून
चाहे जिसका देख लो , अब सफेद है खून |
+ रमेशराज

महक विदेशी अब लिए देशभक्ति के फूल
भगत लाजपत की गये हम क़ुरबानी भूल |
+रमेशराज

धनुष कहे हर तरफ कर वाणों की बौछार
यह विकास का मन्त्र है, देशभक्त का प्यार |
+रमेशराज

भरी सड़क पर चीखती द्रौपदि दीनानाथ
बंधे हुए हैं किसलिए आज तुम्हारे हाथ ?
+रमेशराज

कुर्सी पाकर बोलते सारे आदमखोर
हमें अहिन्सामन्त्र को पहुँचाना हर ओर|
+रमेशराज

जकड़ पाँव को बेड़ियाँ देतीं यह पैग़ाम
अपने शासन में नहीं कोई रहे ग़ुलाम|
+रमेशराज

इधर फंसे नेता अगर, उधर बरी झट होय
दीपक लेकर ढूंढ लो दागी मिले न कोय |
+रमेशराज

अब चाकू के पास है उत्तर यही सटीक
मेरे शासन में रहें सब खरबूजे ठीक |
+रमेशराज

गयी गरीबी देश से सब हैं खातेदार
अब भारत सम्पन्न है कौन करे तकरार |
+रमेशराज

झंडे पाकिस्तान के लहरें चारों ओर
नाच रहा मदमस्त हो गठबंधन का मोर |
+रमेशराज

क्योंकर संकट मोल लें कौन कटाए हाथ
क़लम सम्हाले आज हम राजाजी के साथ |
+रमेशराज

चोर पकड़वा चोर को क्यों ले संकट मोल
आज सियासत है यही जय हो जय हो बोल |
+रमेशराज

कुर्सी पाकर हो गये नेता मस्त-मलंद
लगे गले में डालने जनता के अब फंद |
+रमेशराज

पूरी दुनिया खोज लो हमसे बड़ा न वीर
हमने खुद ही डाल लीं पांवों में जंजीर |
+रमेशराज

जिसके भीतर था कभी नैतिकता का दम्भ
आज बिकाऊ चीज है वह चौथा स्तम्भ |
+रमेशराज

मातम के माहौल में मत खुश हो यूं यार
तेरी भी गर्दन कटे कल रहना तैयार |
+रमेशराज

न्यूज़ चैनलो हो मगन अब तुम जिसके साथ
काटेगा कल को वही सुनो तुम्हारे हाथ |
+रमेशराज

डूब गया कुछ इस तरह सूरज खाकर मात
नहीं सुबह इस रात की अब जो आयी रात |
+रमेशराज

हाथ-पांव को बांधकर कहती है जंजीर
आज़ादी असली यही सह ले थोड़ी पीर |
+रमेशराज

मरे हुए जनतंत्र की लाश नोचते गिद्ध
विगत साल उपलब्धि का सिद्ध हुआ लो सिद्ध |
+रमेशराज

कैसा है ये आजकल नीच दौर हे राम !
पत्रकार भी चाहता जनता बने गुलाम |
+रमेशराज

तीर वक्ष को चीरकर कहता- ‘बन खुशहाल’
खेल सियासी कर रहा जन के बीच कमाल|
+रमेशराज

अर्थवीर के कर दिए हाथ पांव बेकार
नयी आर्थिक नीति से गया सिकंदर हार |
+रमेशराज

कथित आर्थिक प्रगति में हमसे थे इक्कीस
देख लिया ‘सोमालिया ‘, देख रहे अब ‘ग्रीस ‘|
+रमेशराज

नई आर्थिक नीति से सूखी सुख की झील
मति के मारे कर रहे फिर भी गुड ही फील |
+रमेशराज

नयी आर्थिक नीति से दूर नहीं पच्चीस
मार कुल्हाड़ी पांव हम बन जायेंगे ‘ग्रीस ‘|
+रमेशराज

खम्बों पर बिजली नहीं मिले न पानी शुद्ध
क्या विकास आखिर हुआ कुछ तो बोल प्रबुद्ध ?
+रमेशराज

चाकू बोले आजकल जा गर्दन के पास
अच्छे दिन ही लायगा मेरा हर एहसास |
+रमेशराज

कैंची कहे कपोत के पंखों पर कर वार
इस सुराज में चीखना तेरा है बेकार |
+रमेशराज

भ्रष्टाचार विरुद्ध नित राजाजी का शोर
जेल न पहुंचा एक भी भ्रष्टाचारी चोर |
+रमेशराज

भू-प्राक्रतिक रूप से छेड़ न तू इन्सान
वर्ना झेल सुनामियां धरा-कम्प तूफ़ान |
+रमेशराज

अमिट तृप्ति दूँगा उसे आये मेरे पास
मरुथल सबसे पूछता किस-किस को है प्यास ?
+रमेशराज

कृषक करें नित ख़ुदकुशी देख फसल पर मार
भूमि-अधिग्रहण के लिए चिंता में सरकार |
+रमेशराज

हो जाता जब भी खड़ा कोई राम-समान
रावण का टूटे सदा अहंकार-अभिमान |
+रमेशराज

ऐसा ही कुछ देश में घटित हुआ इस बार
गिरता सूरज देख ज्यों औंधे मुँह अंधियार |
+रमेशराज

देश-भक्ति पर दे रहे अति झूठे व्याख्यान
पुजते अब गद्दार भी , कर माँ का गुणगान |
+रमेशराज

जिसके भीतर हैं कई सदविचार के फूल
उस पुस्तक पर अब जमी सिर्फ धुल ही धूल |
+रमेशराज

दिखे व्यवस्था चोर के अब भी अति अनुकूल
काले धन की फ़ाइलें फांक रही हैं धूल |
+रमेशराज

एक बूँद पानी नहीं जिस बादल के पास
बाँट रहा है आजकल वह जल का विश्वास |
+रमेशराज

जन के सूखे पेट को लगा भूख का रोग
ठीक करेगा अब इसे राजाजी का ‘योग ’ |
+रमेशराज

जिसके सँग में ‘रेप ’ नित , जो निर्धन-लाचार
उस बेटी को ‘गोद ‘ कब, लेगी ये सरकार ??
+रमेशराज

जन की गर्दन पर रखी नेता ने तलवार
तुरत बना इस खेल में कवि भी हिस्सेदार |
+रमेशराज

सब ने जिसको कल कहा देश-भक्त इन्सान
कुर्सी पाकर आ गया असल रूप शैतान |
+रमेशराज

ऐ ज्ञानी इस बात पर है कुछ पश्चाताप?
राजनीति में फल रहे तेरे सारे पाप |
+रमेशराज

कवि क्या फिर बौना हुआ तेरे मन का जोश ?
एक बार फिर कह अरे खल को वतनफरोश |
+रमेशराज

राजनीति के दीप में कहीं न बाती तेल
अंधकार की मार को यूं ही प्यारे झेल |
+रमेशराज

भौंडी रीति-रिवाज को क्यों कहता है धर्म
जन-पीड़ा करुणा दया समझ अरे बेशर्म |
+रमेशराज

जन को पहले चाहिए बिजली पानी अन्न
हाईरोड बुलेट से फिर करना संपन्न |
+रमेशराज

जब-जब मंहगाई करे जन के गहरे घाव
बोले पिट्ठू मीडिया गिरे थोक में भाव |
+रमेशराज

यदि ये कम होती नहीं महँगाई की मार
तो फिर सच ये मानिए हर विकास बेकार |
+रमेशराज

अंधकार अब कह रहा मुझ में धवल प्रकाश
मेरा जल्वा देख लो, आलोकित आकाश |
+रमेशराज

काँटे को ही हर समय बोल रहे जो फूल
आज नहीं तो कल उन्हें पता चलेगी भूल |
+रमेशराज

शोले की इस बात पर लोगों को विश्वास
जलन नहीं हर एक को देगा राहत खास |
+रमेशराज

यारो इस उपलब्धि का क्या है मतलब खास
गड्ढा आज पहाड़ का देता है आभास |
+रमेशराज

अमिट तृप्ति दूँगा उसे आये मेरे पास
मरुथल अब कहता फिरे किस-किस को है प्यास ?
+रमेशराज

भूखे पेटों के लिए जुटा दीजिये अन्न
मेरे भारतवर्ष को तब कहना सम्पन्न |
+रमेशराज

बेमतलब देता नहीं सुविधा साहूकार
हम सब की कल देखना लेगा मींग निकार |
+रमेशराज

जाल कहे बुलबुल जरा आ तू मेरे पास
तेरी खातिर है यहाँ प्यारी दाना खास |
+रमेशराज

बादल बन छाया धुआँ नभ पर चारों ओर
‘अब होनी बरसात है’ सत्ता करती शोर |
+रमेशराज

बगुला मछली से कहे – कर जल-बीच किलोल
राम-राम में जप रहा , तू भी श्रीहरि बोल |
+ रमेशराज +

राजाजी के राज में देश-भक्त वह यार
अपनों पर ही जो करे घूम-घूम कर वार |
+ रमेशराज +

राजनीति के मोर का इतना-सा है सत्य
जब भारी सूखा पड़े तब करता है नृत्य |
+ रमेशराज +

दागे गोले-गोलियां आज ‘पाक ‘ जल्लाद
लाल बहादुर की हमें रह-रह आती याद |
+ रमेशराज +

अंधकार अब कह रहा ‘दूंगा अमिट प्रकाश ‘
हैरत की है बात पर लोगों को विश्वास !!
+ रमेशराज +

इतना जनता मान ले कहती है तलवार
करूँ क़सम खाकर करूँ अब गर्दन से प्यार |
+ रमेशराज +

सीने पर सटकर कहे जनता से बंदूक
मेरे आज सुराज में कोयल जैसा कूक |
+ रमेशराज +

भाले भाषण दे रहे लायें हमीं सुराज
असरदार है आजकल बस ये ही आवाज़ |
+ रमेशराज +

प्रणय-निवेदन बावरी करले तू स्वीकार
चाबुक चमड़ी से कहे मेरा सच्चा प्यार |
+ रमेशराज +

चाकू बोले पेट के अति आकर नज़दीक
तेरी-मेरी मित्रता सदा रहेगी ठीक |
+ रमेशराज +

हम इस खूनी खेल को देखें बारम्बार
गुब्बारों से आलपिन जता रही है प्यार |
+ रमेशराज +

गर्दन तक आकर छुरी बनती गांधी-भक्त
हंसकर बोले आजकल नहीं बहाऊँ रक्त |
+ रमेशराज

अंधकार अब कह रहा दूंगा अमिट प्रकाश
पर हैरत की बात यह जनता को विश्वास |
+ रमेशराज

नेता कहता भाइयो सत्ता भले त्रिशूल
युग-युग से महफूज हैं काटों में ही फूल |
+ रमेशराज

अब हम नया विकास कर उगा रहे वो घास
जिसे चरेंगे देश में आकर घोड़े खास |
+ रमेशराज

राजनीति इस देश को ले आयी किस ओर
यारो थानेदार को धमकाता है चोर |
+ रमेशराज

जिनके सर पर बाल हैं उन्हें मिले फटकार
कंघे सारे बँट रहे गंजों में इस बार |
+ रमेशराज

अंधकार जिद पर अड़ा ‘ सूरज करे सलाम ‘
कल को यदि ऐसा हुआ क्या होगा हे राम !
+ रमेशराज +

राजनीति का देखकर आज रूप-आकार
नहीं पता चलता हमें मुँह है या मलद्वार |
+ रमेशराज +

दोष न दे सैयाद को भावुक मन इस बार
चिड़ियाएँ करने लगीं अब पिंजरे से प्यार |
+ रमेशराज +

हो निर्भय घूमें-फिरें भेड़-बकरियां गाय
मंच-मंच से आजकल हर चीता समझाय |
+ रमेशराज +

सर पर गांधीवाद का गुंडे के है ताज
चाकू गौतमबुद्ध पर भाषण देता आज |
+ रमेशराज +

यारो अब मकरंद के विष रचता है छंद
देश-भक्त कहता फिरे अपने को ‘ जयचंद ‘ |
+ रमेशराज +

राखी बंधवाकर कहो कब राखी है लाज ?
बना हुमायूं-सा फिरे हर दुर्योधन आज |
+ रमेशराज +

प्यारे जो है मान ले राजनीति का फूल
कुर्सी तक जब जायगा तुरत बनेगा शूल |
+ रमेशराज +

जन की गर्दन पर रखी नेता ने तलवार
तुरत बना इस खेल में कवि भी हिस्सेदार |
+ रमेशराज +

कवि ने जिसको कल कहा देशभक्त इन्सान
कुर्सी पाकर आ गया असल रूप शैतान |
+ रमेशराज +

कवि तुझको इस बात पर है कुछ पश्चाताप ?
राजनीति में फल रहे तेरे कारण पाप |
+ रमेशराज +

कवि क्यों अब बौना हुआ तेरे मन का जोश
एक बार तो कह जरा खल को वतनफरोश |
+ रमेशराज +

अंधकार की मार को यूं ही प्यारे झेल
राजनीति के दीप में मिले न बाती-तेल |
+ रमेशराज +

कायर रच सकते नहीं , विद्रोहों के छंद
देख बिलौटे को करे , आँख कबूतर बंद |
+रमेशराज

पहले से ही सोच ले , तू जवाब माकूल
वधिक तुझे हर बात पर , भेंट करेगा फूल |
+ रमेशराज +

राजा का दरबार है, सोच-समझकर बोल
चीख यहाँ बेकार है, सोच-समझकर बोल |
+ रमेशराज

अति उन्मादी लोग हैं, फिर से चारों ओर
एक यही उपचार है, सोच-समझकर बोल |
+ रमेशराज +

दुःख की तीखी धूप में जब गुम हो मुस्कान
ममता की छतरी तुरत माँ देती है तान |
+रमेशराज

कुटिल चाल के खेल में माँ थी बेहद दक्ष
दो बेटों के बीच झट लिया धींग का पक्ष |
+ रमेशराज +

क़ातिल के दिल में कहाँ , थोड़ा भी संवेद
केवल जानें छैनियाँ , सुम्मी करना छेद |
+रमेशराज

पिंजरे का जीवन जिए ,पंछी बन मजबूर
खग किलोल से बोल से , हुआ टोल से दूर |
+ रमेशराज +

देख भेड़िया मस्त है , आज बकरिया – भेड़
चाबुक से चमड़ी कहे, ‘ मुझको पिया उधेड़ ‘ |
+रमेशराज

तूफां के आगे झुकें , अपने सभी कयास
शुतुरमुर्ग- सी गर्दनें , सिर्फ हमारे पास |
+ रमेशराज +

एक लड़ाई को भले आज गये हम हार
इस सिस्टम को बींधने फिर से हैं तैयार |
+ रमेशराज +

हे भावुक मन बोल अब , किसका लेगा पक्ष
देख कुल्हाड़ी खुश हुए , जंगल में जब वृक्ष |
+रमेशराज

विक्रम ने जब मेज तक , कुछ खिसकाया माल
थाने के वैताल ने , पूछे नहीं सवाल |
+ रमेशराज +
—————————————————————-
रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ़-202001

Language: Hindi
335 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं नहीं हो सका, आपका आदतन
मैं नहीं हो सका, आपका आदतन
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
विनती
विनती
Kanchan Khanna
सफाई इस तरह कुछ मुझसे दिए जा रहे हो।
सफाई इस तरह कुछ मुझसे दिए जा रहे हो।
Manoj Mahato
चिंता अस्थाई है
चिंता अस्थाई है
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
गीत
गीत
Shiva Awasthi
"स्वतंत्रता दिवस"
Slok maurya "umang"
चिड़िया!
चिड़िया!
सेजल गोस्वामी
मूर्दन के गांव
मूर्दन के गांव
Shekhar Chandra Mitra
#महाभारत
#महाभारत
*Author प्रणय प्रभात*
अगर कोई आपको गलत समझ कर
अगर कोई आपको गलत समझ कर
ruby kumari
सुस्ता लीजिये - दीपक नीलपदम्
सुस्ता लीजिये - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
अर्थव्यवस्था और देश की हालात
अर्थव्यवस्था और देश की हालात
Mahender Singh
कल रहूॅं-ना रहूॅं..
कल रहूॅं-ना रहूॅं..
पंकज कुमार कर्ण
दो शब्द सही
दो शब्द सही
Dr fauzia Naseem shad
प्रणय 7
प्रणय 7
Ankita Patel
वृंदावन :
वृंदावन :
Ravi Prakash
*बोल*
*बोल*
Dushyant Kumar
शर्म शर्म आती है मुझे ,
शर्म शर्म आती है मुझे ,
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
*अजब है उसकी माया*
*अजब है उसकी माया*
Poonam Matia
नारी शक्ति
नारी शक्ति
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"लक्ष्य"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
काव्य में अलौकिकत्व
काव्य में अलौकिकत्व
कवि रमेशराज
प्रेम की तलाश में सिला नही मिला
प्रेम की तलाश में सिला नही मिला
Er. Sanjay Shrivastava
तू है जगतजननी माँ दुर्गा
तू है जगतजननी माँ दुर्गा
gurudeenverma198
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मन की बात
मन की बात
पूर्वार्थ
"समय का महत्व"
Yogendra Chaturwedi
बदन खुशबुओं से महकाना छोड़ दे
बदन खुशबुओं से महकाना छोड़ दे
कवि दीपक बवेजा
नज़ारे स्वर्ग के लगते हैं
नज़ारे स्वर्ग के लगते हैं
Neeraj Agarwal
मेरा भूत
मेरा भूत
हिमांशु Kulshrestha
Loading...