Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Mar 2019 · 1 min read

रंगोत्सव

माथे पर है पीला चंदन ,
गालों की शोभा लाल चंदन,
पीतांबर की छटा मनभावन,
होठों पर मुरली सम्मोहन ,
सिर पर मोरपंख दु:खभंजन ,
प्रभु कृपा से यह रंगोत्सव ,
करता रहे सबका प्रसन्न मन।

Language: Hindi
258 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आप कुल्हाड़ी को भी देखो, हत्थे को बस मत देखो।
आप कुल्हाड़ी को भी देखो, हत्थे को बस मत देखो।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
■ मुक्तक
■ मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
" सुनो "
Dr. Kishan tandon kranti
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
कवि दीपक बवेजा
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
ख़ियाबां मेरा सारा तुमने
ख़ियाबां मेरा सारा तुमने
Atul "Krishn"
इल्तिजा
इल्तिजा
Bodhisatva kastooriya
बेशर्मी
बेशर्मी
Sanjay ' शून्य'
2991.*पूर्णिका*
2991.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ख़त्म होने जैसा
ख़त्म होने जैसा
Sangeeta Beniwal
छोटे बच्चों की ऊँची आवाज़ को माँ -बाप नज़रअंदाज़ कर देते हैं पर
छोटे बच्चों की ऊँची आवाज़ को माँ -बाप नज़रअंदाज़ कर देते हैं पर
DrLakshman Jha Parimal
सफ़र जिंदगी का (कविता)
सफ़र जिंदगी का (कविता)
Indu Singh
लफ्जों के तीर बड़े तीखे होते हैं जनाब
लफ्जों के तीर बड़े तीखे होते हैं जनाब
Shubham Pandey (S P)
पिछले पन्ने भाग 1
पिछले पन्ने भाग 1
Paras Nath Jha
Dr Arun Kumar Shastri
Dr Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"सैनिक की चिट्ठी"
Ekta chitrangini
शीर्षक-मिलती है जिन्दगी में मुहब्बत कभी-कभी
शीर्षक-मिलती है जिन्दगी में मुहब्बत कभी-कभी
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
******
******" दो घड़ी बैठ मेरे पास ******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पर्यावरण
पर्यावरण
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
लालच
लालच
Vandna thakur
जन पक्ष में लेखनी चले
जन पक्ष में लेखनी चले
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
हमने भी ज़िंदगी को
हमने भी ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
सिपाहियों के दस्ता कर रहें गस्त हैं,
सिपाहियों के दस्ता कर रहें गस्त हैं,
Satish Srijan
*कभी उन चीजों के बारे में न सोचें*
*कभी उन चीजों के बारे में न सोचें*
नेताम आर सी
आपसी बैर मिटा रहे हैं क्या ?
आपसी बैर मिटा रहे हैं क्या ?
Buddha Prakash
तुम कहते हो की हर मर्द को अपनी पसंद की औरत को खोना ही पड़ता है चाहे तीनों लोक के कृष्ण ही क्यों ना हो
तुम कहते हो की हर मर्द को अपनी पसंद की औरत को खोना ही पड़ता है चाहे तीनों लोक के कृष्ण ही क्यों ना हो
$úDhÁ MãÚ₹Yá
अधूरा प्रयास
अधूरा प्रयास
Sûrëkhâ Rãthí
*माँ : 7 दोहे*
*माँ : 7 दोहे*
Ravi Prakash
पाकर तुझको हम जिन्दगी का हर गम भुला बैठे है।
पाकर तुझको हम जिन्दगी का हर गम भुला बैठे है।
Taj Mohammad
मेरे जीवन के इस पथ को,
मेरे जीवन के इस पथ को,
Anamika Singh
Loading...