मौत का खौफ
मौत का खौफ
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वो हमारी मौत का
राज जानती है,
लगता है जैसे
वो मौत का यूँ ही
सामान बाँटती है।
पर हम भी कम नहीं हैं
उसकी अकुलाहट में दम नहीं है।
हम भी कम बेशर्म नहीं हैं,
मेरी भी चमड़ी में
उससे कम दम नहीं है।
वो मेरी मौत का राज
क्या जानेगी?
हम उसकी मौत का
हर राज जानते हैं।
वो परेशान सी रहती है
हर रोज हरदम,
मौत का ख्वाब देखती है।
हमसे दूर रहने का
सामान ढूंढती है,
चौबीसों घंटे मौत का
हमराज ढूंढती है।
क्या क्या करें हम आपसे
अपनी बादशाहत का जिक्र,
मेरी इसी अदा से उसे
होती है सदा फिक्र।
?सुधीर श्रीवास्तव