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26 Nov 2020 · 1 min read

मैं नदिया का नीर हूं निर्मल

मैं नदिया का नीर हूं निर्मल
उज्जवल धारा में वहता हूं
जीवन हूं मैं सब जीवो का
प्राण दान देता हूं
उपजाता हूं अन्नधान्य
वृक्षों को जीवन देता हूं
मैं नदिया का नीर हूं निर्मल
उज्जवल धारा में वहता हूं
चलते रहना ही धर्म है मेरा
निरंतर गतिशील रहता हूं
गंतव्य पर जाकर
स्वामी के जल में जा मिलता हूं
उड़ जाता हूं बाष्प रूप में
और बादल बन जाता हूं
जीव जंतु कि त्रिशा मिटाने
धरती पर आ जाता हूं
मैं नदिया का नीर हूं निर्मल
उज्जवल धारा में वहता हूं

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
4 Likes · 6 Comments · 506 Views
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