Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Oct 2018 · 1 min read

मेरे देश का क्या होगा ?

आदमी का आदमी से ब्याह होगा
औरत का औरत से निकाह होगा
बहुत चिंता में रहता हूं आजकल मैं
न जाने; मेरे देश का क्या होगा!!!

चढ़ती हैं बेटियां घोड़ी बहुत फक्र होता है
बेटा-बेटी जीवन का एक चक्र होता है
अब वही घोड़ी पर,वही डोली में
यह सोचकर दिमाग का तक्र होता है।।(कहते हैं दिमाग का दही हो गया)

कभी चिंता करवाचौथ की करता हूं
और काल्पनिक नजारों से ही डरता हूं
इधर दाढ़ी उधर मूंछें,या दो तरफा चांदनी होगी
हकीकत न समझ आए मैं खाली आहें भरता हूं।।

सिहर उठता हूं सोचकर कुछ और भी
खामोशियों में उठता है भीषण शोर भी
कि अराजक हो रहा मानव, नहीं है चेतना बाकी
आज गुलाबों से आगे निकल गई है थोर भी।।

रातभर जागता रहता पति करवट बदलता है
जो छलता था समय को रोज, उसे अब वक्त छलता है
रातभर लूटकर महफ़िल भोर में बीवी घर आए
मुंह से शब्द न निकले मगर अंतस मचलता है।।

बच्चों के हाल क्या होंगे, कहां से आएंगे बच्चे
रोटियां कौन सेकेगा तो दाने खाएंगे कच्चे
न घर होगा,,,,न परिवार ही होगा
कोई अपना नहीं होगा, मिलेंगे मन नहीं सच्चे।।

ये कैसा दौर आया है, कहां को जा रहे हैं हम!!
विरासत याद कर करके आंखें हो रहीं हैं नम ।
मेरे भारत को मत भूलो, परायों पर नहीं फूलो
“दीप” दिल में सजाए है,देश की शान को हरदम।।
__________________________
डॉ ० प्रदीप कुमार दीप

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 465 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2858.*पूर्णिका*
2858.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मंजिल तो  मिल जाने दो,
मंजिल तो मिल जाने दो,
Jay Dewangan
संघर्ष से‌ लड़ती
संघर्ष से‌ लड़ती
Arti Bhadauria
*****सबके मन मे राम *****
*****सबके मन मे राम *****
Kavita Chouhan
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
हैं सितारे डरे-डरे फिर से - संदीप ठाकुर
हैं सितारे डरे-डरे फिर से - संदीप ठाकुर
Sundeep Thakur
■ तुकबंदी कविता नहीं।।
■ तुकबंदी कविता नहीं।।
*Author प्रणय प्रभात*
तुम इश्क लिखना,
तुम इश्क लिखना,
Adarsh Awasthi
जुनून
जुनून
नवीन जोशी 'नवल'
World stroke day
World stroke day
Tushar Jagawat
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सच और झूठ
सच और झूठ
Neeraj Agarwal
"चालाक आदमी की दास्तान"
Pushpraj Anant
मेरा केवि मेरा गर्व 🇳🇪 .
मेरा केवि मेरा गर्व 🇳🇪 .
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
।। निरर्थक शिकायतें ।।
।। निरर्थक शिकायतें ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
बाजार में जरूर रहते हैं साहब,
बाजार में जरूर रहते हैं साहब,
Sanjay ' शून्य'
ए मेरे चांद ! घर जल्दी से आ जाना
ए मेरे चांद ! घर जल्दी से आ जाना
Ram Krishan Rastogi
नये वर्ष का आगम-निर्गम
नये वर्ष का आगम-निर्गम
Ramswaroop Dinkar
Everything happens for a reason. There are no coincidences.
Everything happens for a reason. There are no coincidences.
पूर्वार्थ
चलो चलाए रेल।
चलो चलाए रेल।
Vedha Singh
के जब तक दिल जवां होता नहीं है।
के जब तक दिल जवां होता नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
स्वार्थ से परे !!
स्वार्थ से परे !!
Seema gupta,Alwar
दोहे. . . . जीवन
दोहे. . . . जीवन
sushil sarna
जे सतावेला अपना माई-बाप के
जे सतावेला अपना माई-बाप के
Shekhar Chandra Mitra
हादसे
हादसे
Shyam Sundar Subramanian
संगत
संगत
Sandeep Pande
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"चुल्लू भर पानी"
Dr. Kishan tandon kranti
*कभी हो जीत जाती है,कभी हो हार जाती है (मुक्तक)*
*कभी हो जीत जाती है,कभी हो हार जाती है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
हर मौहब्बत का एहसास तुझसे है।
हर मौहब्बत का एहसास तुझसे है।
Phool gufran
Loading...