” मुस्कराया है गगन भी ” !!
बन्धनों में ,
हूँ बंधी सी !
खुशबूओं से ,
हूँ लदी सी !
अनुबन्ध रंगीले हुए हैं –
खिलखिलाया है चमन भी !!
ताने बाने ,
बुन रखे हैं !
प्यारे प्यारे ,
रंग सजे हैं !
साकार सी अब कल्पनाएं –
आ भी जाओ है लगन सी !!
प्रश्न बहुतेरे ,
मुखर हैं !
अपनों से ही ,
अब तो डर है !
हाथ थामा छोड़ना ना –
हो गयी मैं तो मगन सी !!
नज़रें हुई ,
बेताब सी !
फीकी हुई ,
मुस्कान भी !
वादे से तेरा यों मुकरना –
प्यार में भी है ठगन सी !!