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21 Jul 2017 · 1 min read

मुझे कुछ दिनों की, मोहलत तो दे दो!

मुझे कुछ दिनों की, मोहलत तो दे दो!
तुम्हारी गली में, यूं न भटका करुँगी!!

यादों में तेरी खुद को, सताने तो दो!
तुझसे लिपटकर, यूं न रोया करुँगी!!

अभी तो यहाँ पर, दिल जल रहा है!
सोचकर तुम्हे, फिर न पागल बनूँगी!!

किसी रोज हमने, सजाये थे सपने!
सपनों में उनको, अब न देखा करुँगी!!

मोहब्बत थी तुमसे, बगावत न की थी!
सज़ा क्यूँ मिली ऐसी, सोचा करुँगी!!

मुझे कुछ दिनों की, मोहलत तो दे दो!
तुम्हारी गली में, यूं न भटका करुँगी!!

-सोनिका मिश्रा

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