Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Oct 2020 · 1 min read

मुझको अपना समझ के आया है

मुझको अपना समझ के आया है
कैसे कह दूँ के वो पराया है

जबकि तेरे सिवा न और कोई
क्यूँ मुझे फिर से आज़माया है

कुछ तो तन्हाइयाँ रुलाती हैं
कुछ तिरी याद ने रुलाया है

सिर्फ़ इतना सा है गुनाह मेरा
गीत उल्फ़त का गुनगुनाया है

क्यूँ लगाते अगर ख़बर होती
एक पत्थर से दिल लगाया है

उम्र गुज़री है बेख़ुदी में ही
आज तक भी न होश आया है

जिसको चाहा नहीं वो टकराया
क्या मुक़द्दर अजीब पाया है

सच तभी आ गया समझ उसको
आइना जब उसे दिखाया है

क्यूँ कहेगा कोई उसे भूला
लौटकर शाम घर जो आया है

सिर्फ़ ‘आनन्द’ की सदा सुनकर
सबसे पहले क़दम बढ़ाया है

– डॉ आनन्द किशोर

1 Like · 208 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
किन मुश्किलों से गुजरे और गुजर रहे हैं अबतक,
किन मुश्किलों से गुजरे और गुजर रहे हैं अबतक,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ८)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ८)
Kanchan Khanna
बेटी ही बेटी है सबकी, बेटी ही है माँ
बेटी ही बेटी है सबकी, बेटी ही है माँ
Anand Kumar
23/71.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/71.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
# नमस्कार .....
# नमस्कार .....
Chinta netam " मन "
दयालू मदन
दयालू मदन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तु शिव,तु हे त्रिकालदर्शी
तु शिव,तु हे त्रिकालदर्शी
Swami Ganganiya
पांव में मेंहदी लगी है
पांव में मेंहदी लगी है
Surinder blackpen
Everything happens for a reason. There are no coincidences.
Everything happens for a reason. There are no coincidences.
पूर्वार्थ
चांदनी न मानती।
चांदनी न मानती।
Kuldeep mishra (KD)
नर नारी
नर नारी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
शिक्षक हूँ  शिक्षक ही रहूँगा
शिक्षक हूँ शिक्षक ही रहूँगा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
💐💐मेरी बहुत शिक़ायत है तुमसे💐💐
💐💐मेरी बहुत शिक़ायत है तुमसे💐💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कहती है हमें अपनी कविताओं में तो उतार कर देख लो मेरा रूप यौव
कहती है हमें अपनी कविताओं में तो उतार कर देख लो मेरा रूप यौव
DrLakshman Jha Parimal
■ विडंबना-
■ विडंबना-
*Author प्रणय प्रभात*
वतन
वतन
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
ग़रीबों को फ़क़त उपदेश की घुट्टी पिलाते हो
ग़रीबों को फ़क़त उपदेश की घुट्टी पिलाते हो
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
!! मेरी विवशता !!
!! मेरी विवशता !!
Akash Yadav
बेमेल कथन, फिजूल बात
बेमेल कथन, फिजूल बात
Dr MusafiR BaithA
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
नारी के चरित्र पर
नारी के चरित्र पर
Dr fauzia Naseem shad
*विभाजन-विभीषिका : दस दोहे*
*विभाजन-विभीषिका : दस दोहे*
Ravi Prakash
* सिला प्यार का *
* सिला प्यार का *
surenderpal vaidya
मेरा एक छोटा सा सपना है ।
मेरा एक छोटा सा सपना है ।
PRATIK JANGID
खुले लोकतंत्र में पशु तंत्र ही सबसे बड़ा हथियार है
खुले लोकतंत्र में पशु तंत्र ही सबसे बड़ा हथियार है
प्रेमदास वसु सुरेखा
हमने देखा है हिमालय को टूटते
हमने देखा है हिमालय को टूटते
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तुम हासिल ही हो जाओ
तुम हासिल ही हो जाओ
हिमांशु Kulshrestha
मन करता है अभी भी तेरे से मिलने का
मन करता है अभी भी तेरे से मिलने का
Ram Krishan Rastogi
सच यह गीत मैंने लिखा है
सच यह गीत मैंने लिखा है
gurudeenverma198
"तब पता चलेगा"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...