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9 Nov 2018 · 1 min read

मुक्तक

शमा की तेज़ लौ होते धुआँ तो हो ही जाता है,
करो जब फ़ायदे का काम ज़ियाँ तो हो ही जाता है,
नतीजे के लिए बैठे रहे हम उम्र भर यारों
कहाँ समझे कि पहले इम्तिहाँ का दौर आता है।

Language: Hindi
1 Like · 255 Views
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