Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Nov 2018 · 1 min read

मुक्तक

चला जाऊँ अगर तन्हा नहीं कोई गिला होगा।
तुम्हारे रूँठ जाने का नहीं फिर सिलसिला होगा।
हज़ारों महफ़िलें होंगी मगर मुझसा नहीं होगा-
वफ़ा चाहूँ अगर तुमसे कहो क्या फ़ैसला होगा।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’

बंद मुठ्ठी लाख की किस्मत बनाने आ गए।
भूख सत्ता की जिसे उसको हटाने आ गए।
है नहीं इंसानियत, ईमान दुनिया में बचा-
हम फ़रेबी यार को दर्पण दिखाने आ गए।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’

दिलों में पालकर नफ़रत सियासत लोग करते हैं।
लड़ाते नाम मज़हब के शरारत लोग करते हैं।
कवायद, पैंतरे,फ़ितरत यहाँ नीले सियारों से-
लहू पीकर सताने की हिमाक़त लोग करते हैं।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’

हमें दिल में बसाकर तुम निशाना क्यों बनाते हो।
सजाकर गैर की महफ़िल हमें तुम क्यों जलाते हो।
वफ़ा की आड़ में हरदम चलाए तीर लफ़्जों के-
इबादत की सदा हमने हमें क्यों आजमाते हो।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’

अधर के सुर्ख प्यालों से पिया जो जाम ना होता।
हमारे कत्ल का तुम पर कभी इल्ज़ाम ना होता।
चलाकर तीर नज़रों से न जो घायल किया होता-
सरे चर्चा हमारा नाम यूँ बदनाम ना होता।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)
संपादिका-साहित्यधरोहर

Language: Hindi
1 Like · 299 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
माँ का जग उपहार अनोखा
माँ का जग उपहार अनोखा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"मयखाना"
Dr. Kishan tandon kranti
- रिश्तों को में तोड़ चला -
- रिश्तों को में तोड़ चला -
bharat gehlot
हर रोज याद आऊं,
हर रोज याद आऊं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
फितरत
फितरत
Mamta Rani
3183.*पूर्णिका*
3183.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जो होता है आज ही होता है
जो होता है आज ही होता है
लक्ष्मी सिंह
एक उजली सी सांझ वो ढलती हुई
एक उजली सी सांझ वो ढलती हुई
नूरफातिमा खातून नूरी
मैं बदलना अगर नहीं चाहूँ
मैं बदलना अगर नहीं चाहूँ
Dr fauzia Naseem shad
ठहराव नहीं अच्छा
ठहराव नहीं अच्छा
Dr. Meenakshi Sharma
जरूरी तो नहीं
जरूरी तो नहीं
Madhavi Srivastava
अज़ीब था
अज़ीब था
Mahendra Narayan
अंतरिक्ष में आनन्द है
अंतरिक्ष में आनन्द है
Satish Srijan
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मुस्कुराते रहो
मुस्कुराते रहो
Basant Bhagawan Roy
जी करता है...
जी करता है...
डॉ.सीमा अग्रवाल
" नाराज़गी " ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मौन पर एक नजरिया / MUSAFIR BAITHA
मौन पर एक नजरिया / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
*जो भी अच्छे काम करेगा, कलियुग में पछताएगा (हिंदी गजल)*
*जो भी अच्छे काम करेगा, कलियुग में पछताएगा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
तुम्हारी खुशी में मेरी दुनिया बसती है
तुम्हारी खुशी में मेरी दुनिया बसती है
Awneesh kumar
।। जीवन प्रयोग मात्र ।।
।। जीवन प्रयोग मात्र ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
■ जिसे जो समझना समझता रहे।
■ जिसे जो समझना समझता रहे।
*Author प्रणय प्रभात*
मरना कोई नहीं चाहता पर मर जाना पड़ता है
मरना कोई नहीं चाहता पर मर जाना पड़ता है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
प्यासा के राम
प्यासा के राम
Vijay kumar Pandey
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Shabdo ko adhro par rakh ke dekh
Shabdo ko adhro par rakh ke dekh
Sakshi Tripathi
विश्व कप-2023 फाइनल सुर्खियां
विश्व कप-2023 फाइनल सुर्खियां
दुष्यन्त 'बाबा'
रिश्ते सम्भालन् राखियो, रिश्तें काँची डोर समान।
रिश्ते सम्भालन् राखियो, रिश्तें काँची डोर समान।
Anil chobisa
ముందుకు సాగిపో..
ముందుకు సాగిపో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
क़ाबिल नहीं जो उनपे लुटाया न कीजिए
क़ाबिल नहीं जो उनपे लुटाया न कीजिए
Shweta Soni
Loading...