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11 Sep 2016 · 1 min read

मुक्तक

माँ को मेरे ऐसा अक्सर लगता है।
मेरा बेटा अब तो अफ़सर लगता है
सूटबूट से जब भी निकलूँ मैं घर से
कहती पूरब का तू दिनकर लगता है।।

भाऊराव महंत “भाऊ”

Language: Hindi
300 Views
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