तेरा कंधे पे सर रखकर - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जिस काम से आत्मा की तुष्टी होती है,
तड़प कर मर रही हूं तुझे ही पाने के लिए
इस दौर में सुनना ही गुनाह है सरकार।
आसमाँ के अनगिनत सितारों मे टिमटिमाना नहीं है मुझे,
मक्खनबाजी में सदा , रहो बंधु निष्णात (कुंडलिया)
अंधेरों रात और चांद का दीदार
अश्क तन्हाई उदासी रह गई - संदीप ठाकुर
कर मुसाफिर सफर तू अपने जिंदगी का,