Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2017 · 1 min read

मुक्तक

कही नफरत कही चाहत कही मुश्किल जमाने में
खुदा का नूर बसता है गजल औऱ गीत लिखने में
मैं कैसे लिख दूँ तुमको रात मेरी ज्योत्स्ना बतला
कि हर एक रंग छुपाता है तेरे रुख के नकाबों में

कोई कैसे समझ पाता मोहबत को इबादत को
अभी हम खुद नही समझे हसीं की इबादत को
बताओ कैसे समझाये बताओ कैसे बतलाये
कि हर एक पल गुजरता है यहाँ रोटी कमाने को

ये कैसा दौर है कि सदाकत गुम है मेरी जाँ
हँसी के घर मे भी साथी यहाँ गम है मेरी जाँ
कोई कैसे निभाये चाह में कसमो रिवाजो को
यहाँ दिल तोड़ने का रोज का फैसन है मेरी जाँ

गुजरी उम्र सारी बाप ने इज्जत कमाने में
गुजरी उम्र ये हमने ये यहाँ रोटी कमाने में
वहाँ गम का कभी राधे कोई साया नही आया
बुजर्गों की कदर रहती है जिसके आशियाने में

Language: Hindi
1 Like · 1029 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
💐प्रेम कौतुक-337💐
💐प्रेम कौतुक-337💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
लड़कियों को विजेता इसलिए घोषित कर देना क्योंकि वह बहुत खूबसू
लड़कियों को विजेता इसलिए घोषित कर देना क्योंकि वह बहुत खूबसू
Rj Anand Prajapati
हास्य कथा :अहा कल्पवृक्ष
हास्य कथा :अहा कल्पवृक्ष
Ravi Prakash
मन में नमन करूं..
मन में नमन करूं..
Harminder Kaur
डॉ भीमराव अम्बेडकर
डॉ भीमराव अम्बेडकर
नूरफातिमा खातून नूरी
आप जब हमको दिखते हैं
आप जब हमको दिखते हैं
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
शिक्षा एवं धर्म
शिक्षा एवं धर्म
Abhineet Mittal
रिश्ते
रिश्ते
Ram Krishan Rastogi
ये जो मेरी आँखों में
ये जो मेरी आँखों में
हिमांशु Kulshrestha
सुबुधि -ज्ञान हीर कर
सुबुधि -ज्ञान हीर कर
Pt. Brajesh Kumar Nayak
❤इस दिल में अरमान बहुत है 💙
❤इस दिल में अरमान बहुत है 💙
Dr.Khedu Bharti
रमेशराज की एक हज़ल
रमेशराज की एक हज़ल
कवि रमेशराज
स्वाल तुम्हारे-जवाब हमारे
स्वाल तुम्हारे-जवाब हमारे
Ravi Ghayal
ये न पूछ के क़ीमत कितनी है
ये न पूछ के क़ीमत कितनी है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
थोड़ा पैसा कमाने के लिए दूर क्या निकले पास वाले दूर हो गये l
थोड़ा पैसा कमाने के लिए दूर क्या निकले पास वाले दूर हो गये l
Ranjeet kumar patre
“शादी के बाद- मिथिला दर्शन” ( संस्मरण )
“शादी के बाद- मिथिला दर्शन” ( संस्मरण )
DrLakshman Jha Parimal
जरूरी नहीं ऐसा ही हो तब
जरूरी नहीं ऐसा ही हो तब
gurudeenverma198
बोलती आँखे....
बोलती आँखे....
Santosh Soni
मैं हु दीवाना तेरा
मैं हु दीवाना तेरा
Basant Bhagawan Roy
प्रणय 4
प्रणय 4
Ankita Patel
नारी के कौशल से कोई क्षेत्र न बचा अछूता।
नारी के कौशल से कोई क्षेत्र न बचा अछूता।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
■ यादों का झरोखा...
■ यादों का झरोखा...
*Author प्रणय प्रभात*
संसद बनी पागलखाना
संसद बनी पागलखाना
Shekhar Chandra Mitra
मुस्कराता चेहरा
मुस्कराता चेहरा
shabina. Naaz
कितने इश्क़❤️🇮🇳 लिख गये, कितने इश्क़ सिखा गये,
कितने इश्क़❤️🇮🇳 लिख गये, कितने इश्क़ सिखा गये,
Shakil Alam
"समझदार"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरे हृदय ने पूछा तुम कौन हो ?
मेरे हृदय ने पूछा तुम कौन हो ?
Manju sagar
बे खुदी में सवाल करते हो
बे खुदी में सवाल करते हो
SHAMA PARVEEN
बेबाक
बेबाक
Satish Srijan
Loading...