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8 Nov 2019 · 1 min read

मुक्तक

ठोकरों से भी सम्भलने का हुनर सीखा है,
हमने हर हाल में चलने का हुनर सीखा है,
खुबियों और कमियों से हैं हम खुद के वाकीफ़
हमने आइनों में ढलने का हुनर सीखा है..

Language: Hindi
184 Views
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