Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Aug 2016 · 1 min read

मिसेज डोली | अभिषेक कुमार अम्बर

एक दिल मिसेज डोली,
अपने पति से बोली।
अजी! सुनिए
आज आप बाजार
चले जाइये।
और मेरे लिए
एक क्रीम ले आइये।
सुना है आजकल
टाइम में थोड़े,
क्रीम लगाने से
काले भी हो जाते है गौरे।
ये सुनकर पति ने मुँह खोला,
और हँसते हुए बोला।
अरे ! पगली
तू भी कितनी है
भोरी,
क्या क्रीम लगाने से
कभी भैंस भी हुई
है गोरी।

Language: Hindi
285 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इच्छा-मृत्यु (बाल कविता)
इच्छा-मृत्यु (बाल कविता)
Ravi Prakash
■ दिल
■ दिल "पिपरमेंट" सा कोल्ड है भाई साहब! अभी तक...।😊
*Author प्रणय प्रभात*
खुली आंखें जब भी,
खुली आंखें जब भी,
Lokesh Singh
तुम याद आ रहे हो।
तुम याद आ रहे हो।
Taj Mohammad
कोरे कागज पर...
कोरे कागज पर...
डॉ.सीमा अग्रवाल
कितना प्यार
कितना प्यार
Swami Ganganiya
प्रेम
प्रेम
Pratibha Pandey
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
Sanjay ' शून्य'
और तो क्या ?
और तो क्या ?
gurudeenverma198
शब्द
शब्द
लक्ष्मी सिंह
खून-पसीने के ईंधन से, खुद का यान चलाऊंगा,
खून-पसीने के ईंधन से, खुद का यान चलाऊंगा,
डॉ. अनिल 'अज्ञात'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
नीरोगी काया
नीरोगी काया
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
शौक-ए-आदम
शौक-ए-आदम
AJAY AMITABH SUMAN
"विश्ववन्दनीय"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
ज़िंदगी का सफ़र
ज़िंदगी का सफ़र
Dr fauzia Naseem shad
बखान सका है कौन
बखान सका है कौन
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
एहसान
एहसान
Paras Nath Jha
दस रुपए की कीमत तुम क्या जानोगे
दस रुपए की कीमत तुम क्या जानोगे
Shweta Soni
ढलती उम्र का जिक्र करते हैं
ढलती उम्र का जिक्र करते हैं
Harminder Kaur
श्रोता के जूते
श्रोता के जूते
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
भोर सुहानी हो गई, खिले जा रहे फूल।
भोर सुहानी हो गई, खिले जा रहे फूल।
surenderpal vaidya
अथर्व आज जन्मदिन मनाएंगे
अथर्व आज जन्मदिन मनाएंगे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Tujhe pane ki jung me khud ko fana kr diya,
Tujhe pane ki jung me khud ko fana kr diya,
Sakshi Tripathi
2485.पूर्णिका
2485.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Don't Give Up..
Don't Give Up..
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
शिवरात्रि
शिवरात्रि
ऋचा पाठक पंत
समय का एक ही पल किसी के लिए सुख , किसी के लिए दुख , किसी के
समय का एक ही पल किसी के लिए सुख , किसी के लिए दुख , किसी के
Seema Verma
Loading...