****** मित्रता ******
मित्रता सदेह रुप भगवान है
जो ना समझ सका वही नादान है।
कष्ट मिटाने मित्र का
जो तत्पर रहता
विघ्न बड़ा जीतना हो चाहे
कभी न डरता।
देख यार का हाल बुरा
हो जाये दुखी
हर प्रयत्न करता वो
जिससे मिले खुशी।
वो देता मित्र सुदामा को सम्मान है
मित्रता सदेह रुप भगवान है,
जो न समझ सका वहीं नादान है।।
काम बुरा जो कभी करें
वो हमको रोके
मार्ग गलत जैसे ही देखे
हमको टोके।
आये कभी मुसीबत हमपे
वो लड़ जाये
हर विपदा के राहो में
खुद हीं अड़ जाये।
मित्र सुग्रीव को देता अभय दान है
मित्रता सदेह रुप भगवान है,
जो ना समझ सका वहीं नादान है।।
मित्र के उत्कर्ष पर है
जिसका सीना फूलता,
मित्र का सुख देख कर मन
है जिसका झूमता।
जात- धर्म व वर्ग- भेद को
नहीं जो मानता,
निर्धन या धनवान मित्र को
एक सम पहचानता।
सारथी बनकर जो, देता गीता ज्ञान है।
मित्रता सदेह रुप भगवान है,
जो ना समझ सका वहीं नादान है।।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
आप सभी सम्मानित मित्रजनों को मित्रता दिवस की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं।