मिट्टी मेरे गांव की
मौज रही गलिया चौबारे.
वो धुल सनी कच्ची राहे.
हवाओं के संग सरसों गाए.
खेतो में सारंगी सरपत बजाए.
मौज रही गलिया चौबारे.
नहरों में पानी छलका जाए.
टुटी फुटी वो घर की यादे.
दिवारों पर रंग जामाए.
अवधेश कुमार राय…..
मौज रही गलिया चौबारे.
वो धुल सनी कच्ची राहे.
हवाओं के संग सरसों गाए.
खेतो में सारंगी सरपत बजाए.
मौज रही गलिया चौबारे.
नहरों में पानी छलका जाए.
टुटी फुटी वो घर की यादे.
दिवारों पर रंग जामाए.
अवधेश कुमार राय…..