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30 Nov 2020 · 1 min read

माटी तन के दीये में, प्रभु जगमग ज्योति तुम्हारी

माटी तन के दीये में, प्रभु जगमग ज्योति तुम्हारी
असंख्य दीपों से दमक रही, सारी सृष्टि तुम्हारी
दीपोत्सव मना रही है, जगमग धरती सारी
नाना है फल फूल भेंट में, शोभा है अति न्यारी
माटी तन के दीए में, प्रभु जगमग ज्योति तुम्हारी
एक ओंकार है जगत नियंता, नाना रूपों में आया
सप्तदीप नवखंड में प्रभु, सुंदर संसार बसाया
नाना है फल फूल जगत में, सप्त धान उपजाए
जल जंगल पर्वत उपजाए, सागर सप्त बनाए
बहा दी नदियां शीतल जल की, महिमा अजब तिहारी
माटी तन के दीए में, प्रभु जगमग ज्योत तुम्हारी
नाना जीव बनाए तुमने, नाना रूपों में आए
निराकार साकार हुए प्रभु, ज्ञान धरा पर लाए
पंचतत्व के पुतले में प्रभु, साकार तुम ही हो आए
नीति धर्म प्रेम करुणा का, जग को पाठ पढ़ाए
तेरे ही प्रभु परम प्रकाश से, प्रकाशित सृष्टि सारी
माटी तन के दीए में प्रभु, जगमग ज्योत तुम्हारी
सूरज धरती चांद बनाए, तारागण चमकाए
चाल को सबकी किया नियंत्रित, बात समझ न आए
पाताल धरती और गगन का, भेद कौन समझाए
तीन लोक के स्वामी प्रभु, महिमा कही न जाए
आना जाना लगा हुआ है, माया सभी तुम्हारी
माटी तन के दीए में प्रभु, जगमग ज्योति तुम्हारी

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 417 Views
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