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24 Nov 2018 · 1 min read

मां

मां

दूध नहीं अमृत पिलाती है मां
ममता की गोद में सुलाती है मां।
बोलने से पहले ही समझ लेती है
बिन मांगे हर चीज दिलाती है मां।
मां की दुआएं ही दवा बन जाती है
चोट लगने पर सहलाती है मां।
रात-रात भर खुद ही जागकर
बांहों के बिछौने बिछाती है मां।
भूखी रह के भी तृप्त हो जाती है
जब बच्चों को निवाला खिलाती है मां।
अच्छे कर्म सुनकर फूली नहीं समाती
गलत राहों पर जाने से तिलमिलाती है मां।
रूप,रंग,आकार ,जीवन देती है
हमें दुनिया में लाती है मां।
सर्वस्व समर्पण कर देने वाली
हमारी प्रथम गुरु कहलाती है मां।

अर्चना खंडेलवाल
नोएडा (उ.प्र.)

9 Likes · 35 Comments · 521 Views
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