Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jan 2020 · 1 min read

माँ

माँ ही गंगा, माँ ही यमुना, माँ सरस्वती सी पावन है,
माँ ही पतझड में एक चलता फिरता सावन है ।
माँ को देख लिया तो फिर इश्वर के दर्शन क्या करना,
माँ ने फैला दी बाहें तो फिर अन्धकार से क्या डरना । ।
माँ ही गंगा——
माँ में वो शक्ती है जो पीड़ा सहकर सृजन करे,
माँ वात्सल्य और ममता का एक अनोखा सागर है ।
माँ जलते हुए गमों के सहरा में एक अजब सा शीतल गागर है ।।
माँ के बिखरे बाल कभी, कभी आधी सोई लगती है,
दिन भर वो बस काम करे आराम नही वो करती है ।।
माँ बनाती बाल वो मेरे कभी काला टीका करती है,
रख दे हाथ वो माथे पर हर विपदा मुझ से डरती है ।।
माँ जड़ है मेरे जीवन की मा वेदो से भी उँची है ,
माँ की ममता का मोल नही ये रामायण की सूची है ।

करो प्रार्थना, करो आरती, चाहे कोई तप कर लो,
छू लो माँ के पैरो को चाहे राम नाम का जप कर लो।।

Language: Hindi
5 Comments · 291 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मौन मुसाफ़िर उड़ चला,
मौन मुसाफ़िर उड़ चला,
sushil sarna
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
Er. Sanjay Shrivastava
तेरी नादाँ समझ को समझा दे अभी मैं ख़ाक हुवा नहीं
तेरी नादाँ समझ को समझा दे अभी मैं ख़ाक हुवा नहीं
'अशांत' शेखर
नदी जिस में कभी तुमने तुम्हारे हाथ धोएं थे
नदी जिस में कभी तुमने तुम्हारे हाथ धोएं थे
Johnny Ahmed 'क़ैस'
💐प्रेम कौतुक-348💐
💐प्रेम कौतुक-348💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मजबूत इरादे मुश्किल चुनौतियों से भी जीत जाते हैं।।
मजबूत इरादे मुश्किल चुनौतियों से भी जीत जाते हैं।।
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
कौन कितने पानी में
कौन कितने पानी में
Mukesh Jeevanand
अजनबी !!!
अजनबी !!!
Shaily
विवशता
विवशता
आशा शैली
शंकर हुआ हूँ (ग़ज़ल)
शंकर हुआ हूँ (ग़ज़ल)
Rahul Smit
😢 अच्छे दिन....?
😢 अच्छे दिन....?
*Author प्रणय प्रभात*
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
हार कभी मिल जाए तो,
हार कभी मिल जाए तो,
Rashmi Sanjay
वक्त
वक्त
लक्ष्मी सिंह
अंधेरे के आने का खौफ,
अंधेरे के आने का खौफ,
Buddha Prakash
"काहे का स्नेह मिलन"
Dr Meenu Poonia
मैं
मैं
Ranjana Verma
कलम की वेदना (गीत)
कलम की वेदना (गीत)
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
महसूस कर रही हूँ बेरंग ख़ुद को मैं
महसूस कर रही हूँ बेरंग ख़ुद को मैं
Neelam Sharma
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
जीवन का एक और बसंत
जीवन का एक और बसंत
नवीन जोशी 'नवल'
पानीपुरी (व्यंग्य)
पानीपुरी (व्यंग्य)
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
मैं उसी पल मर जाऊंगा ,
मैं उसी पल मर जाऊंगा ,
श्याम सिंह बिष्ट
3148.*पूर्णिका*
3148.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भरोसा खुद पर
भरोसा खुद पर
Mukesh Kumar Sonkar
“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?
“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?
DrLakshman Jha Parimal
अर्थी चली कंगाल की
अर्थी चली कंगाल की
SATPAL CHAUHAN
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
Manisha Manjari
"अपेक्षा"
Dr. Kishan tandon kranti
उसके किरदार की खुशबू की महक ज्यादा है
उसके किरदार की खुशबू की महक ज्यादा है
कवि दीपक बवेजा
Loading...