Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Nov 2018 · 1 min read

. माँ

. माँ
****
माँ तुम
कितनी ममता से भरी हो
एक-एक क्षण को
सहने की धैर्यता
माँ तुमसे कोई सीखे
हमारे छोटे से छोटे
आह को देखकर तुम
तुरंत ममता उड़ेल देती हो
चाहे स्वयं पीड़ित क्यों न हो
माँ तुम्हारी यह निस्वार्थ ममता
जो तुमने कितने कष्ट सहकर सींचा हैं
हम इस ऋण को
कभी चुका न पायेंगे
दुनिया से बेखबर
जब मैं मचली थी
तुम्हारे गर्भ में
तब तुम्हारी
ममतामयी हाथ ने
सहलाया था मुझे
तुम देवी हो माँ…
दुनिया में आने पर
सारा कष्ट को भुलाकर
जब तुमने पहली बार
मुझे चुमा था
मेरा रोना बंद हो गया था
तुम्हारे ममताभरे स्पर्श
कितना सुखद था मेरे लिए
भूख से बिलखता मुझे देख
तुम दौड़ी चली आती
अमृत सा स्तन पान कराने
रात को मेरे रोने से
तुम जाग जाती
कभी तो तुम
सो भी नहीं पाती
फिर भी तुम दुखी नहीं होती
माँ सचमुच तुम करुणामयी ,
शक्तिशाली,सहनशीला तथा त्यागमयी हो ,
मेरा पहला गुरु भी तुम ही हो
माँ हरपल तुम अपनी शिशु को
सुमार्ग दिखाती आई हो
तुम्हारे इस निस्वार्थ ममता के लिए
मैं सदैव आभारी रहूंगी
माँ आपको मेरा शत-शत नमन ………….
***************************************
रीता सिंह ” सर्जना
संपर्क सूत्र : डी एफ़ ओ’ज आफिस,

वेस्टर्न असम वाइल्ड लाईफ़ डिविजन

दोलाबारी, तेजपुर पिन: 784027

ई-मेल : rita30singh@gmail.com

(स्वरचित, मौलिक, एवं अप्रकाशित)

Language: Hindi
7 Likes · 8 Comments · 342 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
काली हवा ( ये दिल्ली है मेरे यार...)
काली हवा ( ये दिल्ली है मेरे यार...)
Manju Singh
मौन सभी
मौन सभी
sushil sarna
आँगन में एक पेड़ चाँदनी....!
आँगन में एक पेड़ चाँदनी....!
singh kunwar sarvendra vikram
💐अज्ञात के प्रति-13💐
💐अज्ञात के प्रति-13💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
(15)
(15) " वित्तं शरणं " भज ले भैया !
Kishore Nigam
एक दिन जब न रूप होगा,न धन, न बल,
एक दिन जब न रूप होगा,न धन, न बल,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बेवजह किसी पे मरता कौन है
बेवजह किसी पे मरता कौन है
Kumar lalit
प्रेम की अनुपम धारा में कोई कृष्ण बना कोई राधा
प्रेम की अनुपम धारा में कोई कृष्ण बना कोई राधा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
" कटु सत्य "
DrLakshman Jha Parimal
मनुष्य को
मनुष्य को
ओंकार मिश्र
प्रकृति
प्रकृति
लक्ष्मी सिंह
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
Shyam Sundar Subramanian
दर्द और जिंदगी
दर्द और जिंदगी
Rakesh Rastogi
वो ऊनी मफलर
वो ऊनी मफलर
Atul "Krishn"
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
किसी दिन
किसी दिन
shabina. Naaz
"पता"
Dr. Kishan tandon kranti
रिमझिम बरसो
रिमझिम बरसो
surenderpal vaidya
**पी कर  मय महका कोरा मन***
**पी कर मय महका कोरा मन***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
বড় অদ্ভুত এই শহরের ভীর,
বড় অদ্ভুত এই শহরের ভীর,
Sakhawat Jisan
पत्थर जैसा दिल बना हो जिसका
पत्थर जैसा दिल बना हो जिसका
Ram Krishan Rastogi
दादा का लगाया नींबू पेड़ / Musafir Baitha
दादा का लगाया नींबू पेड़ / Musafir Baitha
Dr MusafiR BaithA
कई मौसम गुज़र गये तेरे इंतज़ार में।
कई मौसम गुज़र गये तेरे इंतज़ार में।
Phool gufran
*नेता से चमचा बड़ा, चमचा आता काम (हास्य कुंडलिया)*
*नेता से चमचा बड़ा, चमचा आता काम (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अधूरे ख़्वाब की जैसे
अधूरे ख़्वाब की जैसे
Dr fauzia Naseem shad
रिश्तों की गहराई लिख - संदीप ठाकुर
रिश्तों की गहराई लिख - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
मौत के डर से सहमी-सहमी
मौत के डर से सहमी-सहमी
VINOD CHAUHAN
2651.पूर्णिका
2651.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
■ आज का दोहा
■ आज का दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...