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17 Nov 2018 · 1 min read

माँ

किन शब्दों से करूं मां का गुणगान
सृष्टि की जो है शोभा ,है रत्नों की खान
जिसकी ममता से सुरभित होता सकल यह संसार
शाश्वत प्रेम से परिपूरित जिसका हृदय महान ।

रक्त की बूंदों को कर संयोजित बनती सृजन हार
पल्लवित होता बीज अंतस में —होता चमत्कार
अपने स्नेहिल वात्सल्य से जब उसका पोषण करती है
वह पुष्प कुसुमित होता पाता मां का दुलार।

मां की महिमा का कोई नहीं है पार
मां के हाथों होता है बच्चों का उद्धार
दुष्कर राहों में बन जाती सहारा
जब बीच भंवर में फंसती है नाव की पतवार

लबों पर जिसके हर पल दुआएं सजती है
सांची प्रीत ह्रदय में जिसके हर पल ही पलती है
हृदय में सच्ची आस लिए प्रतिपल
बच्चों का चिंतन करती है

माँ ईश्वर का है अनमोल उपहार
चरणों में जिसके स्वर्ग का द्वार
आदर्श त्याग की ये प्रतिमूर्ति
करूं मैं वंदन बारंबार

✍अर्चना तिवारी
कानपुर

7 Likes · 27 Comments · 563 Views
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