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16 Nov 2018 · 1 min read

माँ

माँ गँगा सी हो तुम, मगर
मुझे तुम्हारा नदी होना
अच्छा नही लगता है !

तुम्हारा यूँ लगातार बहना
बिन थके औऱ मौन रहना
अच्छा नही लगता है !

मायका छूट गया तुम्हारा ,
छूट गया वो सुख का अंगना
बस दौड़ती जा रही हो
क्षुधातुर बालकों की ओऱ
रम्भाती बन कपिला गैय्या ,
तुम्हारा यूँ चट्टानो से लड़ना
अच्छा नही लगता है !

नही रुकोगी तुम…
मै जानती हूँ
रास्ते बदल बदल आखिर समुन्द्र मे ही विलय होना है, तुम्हे ,
अपना स्व तिरोहित कर पर के लिये जीती जो हो तुम
एक स्त्री जो हो तुम ,….
.एक माँ जो हो तुम
जब भी आचमन करतीं हूँ
ये सब सोच दिल दुखता है !
अच्छा नही लगता है !

डॉ.मेनका त्रिपाठी

10 Likes · 43 Comments · 916 Views
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