Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Nov 2018 · 3 min read

माँ

माँ

मैं तो उसी दिन से मृत हो गया था ,,,

जिस दिन तूने मुझे अपने दूध से विरक्त किया था ।।।

आज तक नींद भर सो नहीं पाया ,,,

जब से तेरी गोद से मेरा सिर हटा था ।।।।।।।।

पुरुष सत्तात्मक समाज को ,,,

तूने मुझे लव-कुश की भांति क्यों सौंप दिया ….

और खुद विलीन हो गयी ??????

पराये निवाले और डरावने बिछौने

अब इस जन्म की नियति हैं ।।।।।।।।।।

आज मैं आवेशित हूँ,

भुजाएं फड़कती हैं,

रक्तिम नेत्रों से ललकारता

समाज का विधाता हूँ ..

मर्यादाओं की कथा लिखने की होड़ में ,,,,

गर्भवती सीता जंगलों में भटकती है …..

द्रौपदी का वस्त्र हरता हूँ …..

फिर प्रतिकार की ज्वाला से वंशों को समाप्त कर देता हूँ ।।

लेकिन इसमें मरता,

गर्भ से शिक्षित अभिमन्यु है ….

कौन्तेय निस्तेज होते हैं ….

यशोदानंदन की कहानियां सिमट जाती हैं …..

अंततः गांधारी की कोख से सारी मानवता उजड़ जाती है ।।।।।।।।।।।

विशुद्ध पारलौकिक अध्यात्म विज्ञान की धरा

नटराज की वो कर्मभूमि वीरान हो जाती है …..

जहाँ से प्राण और आत्मा की खोज शुरू हुई थी ।।

जिसे कैलाश से निकली पांच नदियों ने सींचा था …

जिसका पोषण गंगा ने किया था ….

और जिसकी रक्षा ब्रह्मपुत्र करती थी ।।।।।।

पशुपतिनाथ की संतान फिर प्रयत्न करती है

भारत को खड़ा करने की …..

लेकिन अब,

अब….. भारत का ब्रह्म ज्ञान और नाद के दोलन से

नाचते सूक्ष्म विज्ञान का अनुसंधान नहीं

वरन

निकृष्ट विदेशी शिक्षा पर आश्रित विवेकहीन संस्कार हैं ।।।

इक्कीस ब्राह्मणों के भोज बिना तेरहंवी नहीं होती …

मूक-कातर-पनीली आँखों से दया की भीख मांगते

जानवरों के कंठ रेतते

बलि और कुर्बानी के अनुष्ठान होते हैं ….

नदियों-तालाबों का अतिक्रमण करते ,,,,

निर्दोष पुष्पों को कुचलकर भगवान को खुश करते ,,,,

मूर्तियों, राख, लाशों से जलस्त्रोतों को जहरीला बनाते ,,,,

रेहाना को अपनी कौमार्य रक्षण का दोषी बतलाकर

सूली चढाने वाली सभ्यताओं का अनुसरण करते ….

राजनीति, धर्म, समाज, सभ्यता, संस्कार, भाषा, रंग, सीमा आदि

से रोटी सेंकने वाली की …

ऊंची मीनारों से आती आवाज़ों पर

अपने ही वंशजों के गले काटने को तत्पर होते हैं ।।।।

आह ।।।।।

माँ

भारत को तो दुष्यंत पहचानता भी नहीं था ……

लेकिन शकुंतला तेरे संस्कारों

ने भारत को नाम दिया था ….

उस अदम्य सभ्यता को जो चिरकाल से विश्व का स्वप्न है ।।।।

कभी वो भारत को हिन्दू बोलता है

कभी मुसलमान कहता है

इतने धर्म और कहानियाँ लिखता हुआ भी ,,,,,,

जिसका स्वरूप अक्षय है …….

अफगानिस्तान से लेकर बर्मा की तलहटी तक

माँ ही भारत को पालती है ।।।।।।।।।।

पुरुषत्व के अभिमान में छली जाती ….

रोती है, चीखती है ,,

छाती पीटती है दर्द और आंसुओं से …..

फिर उठा लेती है संतान को गोद में ,,,

और चल देती है बड़ा करने को ……

बड़ा करके ,,,,

दुष्यंत के हाथों सौपने को ………

वस्तुतः

पुरुषार्थ का गर्व, पीढ़ियों में सिमटे शौर्य को लिखता रह गया …..

पर सभ्यताओं का इतिहास माँ की ममता और करुणा के हिस्से आया …..

माँ क्या ,,,,

इन्हीं झूठी कहानियों और

आपस में लड़कर मरने वाले मूर्खों के इतिहास को गढ़ने के लिए

तूने मुझे आँचल से आज़ाद किया था ????

बांवन हड्डियों के टूटने का दर्द सहकर

क्या इसीलिए मुझे जन्म दिया था ???

ब्रह्मांड की सबसे उर्वर धरा को प्राणहीन बनाने वाले

आत्महंता मानव को क्या इसीलिए कोख में लायी थी ???

विडम्बना ही है कि,

जिंदगी भर औरत पर हुकूमत करने वाला

इंसान

अपना अंत माँ की गोद में चाहता है ।।।।।।।।।।

वन क्रान्ति – जन क्रान्ति

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 304 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
THE GREY GODDESS!
THE GREY GODDESS!
Dhriti Mishra
ॐ शिव शंकर भोले नाथ र
ॐ शिव शंकर भोले नाथ र
Swami Ganganiya
👌एक न एक दिन👌
👌एक न एक दिन👌
*Author प्रणय प्रभात*
हमारी समस्या का समाधान केवल हमारे पास हैl
हमारी समस्या का समाधान केवल हमारे पास हैl
Ranjeet kumar patre
जन्नतों में सैर करने के आदी हैं हम,
जन्नतों में सैर करने के आदी हैं हम,
लवकुश यादव "अज़ल"
जब वक्त ने साथ छोड़ दिया...
जब वक्त ने साथ छोड़ दिया...
Ashish shukla
किस के लिए संवर रही हो तुम
किस के लिए संवर रही हो तुम
Ram Krishan Rastogi
मिला जो इक दफा वो हर दफा मिलता नहीं यारों - डी के निवातिया
मिला जो इक दफा वो हर दफा मिलता नहीं यारों - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
यही पाँच हैं वावेल (Vowel) प्यारे
यही पाँच हैं वावेल (Vowel) प्यारे
Jatashankar Prajapati
यह जीवन अनमोल रे
यह जीवन अनमोल रे
विजय कुमार अग्रवाल
संत नरसी (नरसिंह) मेहता
संत नरसी (नरसिंह) मेहता
Pravesh Shinde
तेरी यादों के आईने को
तेरी यादों के आईने को
Atul "Krishn"
मुझे  बखूबी याद है,
मुझे बखूबी याद है,
Sandeep Mishra
हमें तो देखो उस अंधेरी रात का भी इंतजार होता है
हमें तो देखो उस अंधेरी रात का भी इंतजार होता है
VINOD CHAUHAN
यूँ मोम सा हौसला लेकर तुम क्या जंग जित जाओगे?
यूँ मोम सा हौसला लेकर तुम क्या जंग जित जाओगे?
'अशांत' शेखर
*कर्म बंधन से मुक्ति बोध*
*कर्म बंधन से मुक्ति बोध*
Shashi kala vyas
अब कुछ चलाकिया तो समझ आने लगी है मुझको
अब कुछ चलाकिया तो समझ आने लगी है मुझको
शेखर सिंह
*डमरु (बाल कविता)*
*डमरु (बाल कविता)*
Ravi Prakash
"अभिमान और सम्मान"
Dr. Kishan tandon kranti
- मोहब्बत महंगी और फरेब धोखे सस्ते हो गए -
- मोहब्बत महंगी और फरेब धोखे सस्ते हो गए -
bharat gehlot
I sit at dark to bright up in the sky 😍 by sakshi
I sit at dark to bright up in the sky 😍 by sakshi
Sakshi Tripathi
छोटे गाँव का लड़का था मैं
छोटे गाँव का लड़का था मैं
The_dk_poetry
गुरु दक्षिणा
गुरु दक्षिणा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जंगल, जल और ज़मीन
जंगल, जल और ज़मीन
Shekhar Chandra Mitra
हर बार धोखे से धोखे के लिये हम तैयार है
हर बार धोखे से धोखे के लिये हम तैयार है
manisha
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Akshay patel
हैं सितारे डरे-डरे फिर से - संदीप ठाकुर
हैं सितारे डरे-डरे फिर से - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
नियम पुराना
नियम पुराना
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
पश्चिम हावी हो गया,
पश्चिम हावी हो गया,
sushil sarna
समाप्त हो गई परीक्षा
समाप्त हो गई परीक्षा
Vansh Agarwal
Loading...