Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2017 · 1 min read

माँ बनकर मैं खुद को जानी

माँ बनकर
मैं खुद को जानी,
माँ का पूरा
रूप पहचानी।
ईश्वर से
पाकर दो बेटी,
बचपन जी रही हूँ,
मैं फिर से अपनी।
कुछ अधूरे
सपने थे अपनी,
बेटी के माध्यम से
हो रही है पूरी।
-लक्ष्मी सिंह

520 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
हवाएँ
हवाएँ
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जीवन की सुरुआत और जीवन का अंत
जीवन की सुरुआत और जीवन का अंत
Rituraj shivem verma
भीनी भीनी आ रही सुवास है।
भीनी भीनी आ रही सुवास है।
Omee Bhargava
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हक़ीक़त ने
हक़ीक़त ने
Dr fauzia Naseem shad
मेरे सपनों का भारत
मेरे सपनों का भारत
Neelam Sharma
बीज
बीज
Dr.Priya Soni Khare
"माफ करके"
Dr. Kishan tandon kranti
विषय:गुलाब
विषय:गुलाब
Harminder Kaur
सांसों का थम जाना ही मौत नहीं होता है
सांसों का थम जाना ही मौत नहीं होता है
Ranjeet kumar patre
क्रोध को नियंत्रित कर अगर उसे सही दिशा दे दिया जाय तो असंभव
क्रोध को नियंत्रित कर अगर उसे सही दिशा दे दिया जाय तो असंभव
Paras Nath Jha
धमकियां शुरू हो गई
धमकियां शुरू हो गई
Basant Bhagawan Roy
रिशते ना खास होते हैं
रिशते ना खास होते हैं
Dhriti Mishra
बस चलता गया मैं
बस चलता गया मैं
Satish Srijan
आजा रे आजा घनश्याम तू आजा
आजा रे आजा घनश्याम तू आजा
gurudeenverma198
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
सिखों का बैसाखी पर्व
सिखों का बैसाखी पर्व
कवि रमेशराज
तोंदू भाई, तोंदू भाई..!!
तोंदू भाई, तोंदू भाई..!!
Kanchan Khanna
Maa pe likhne wale bhi hai
Maa pe likhne wale bhi hai
Ankita Patel
शिव विनाशक,
शिव विनाशक,
shambhavi Mishra
छोड़ दिया किनारा
छोड़ दिया किनारा
Kshma Urmila
अपनी निगाह सौंप दे कुछ देर के लिए
अपनी निगाह सौंप दे कुछ देर के लिए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
#शुभ_दिवस
#शुभ_दिवस
*Author प्रणय प्रभात*
10) “वसीयत”
10) “वसीयत”
Sapna Arora
*हल्दी (बाल कविता)*
*हल्दी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
'सवालात' ग़ज़ल
'सवालात' ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
तुम कहते हो राम काल्पनिक है
तुम कहते हो राम काल्पनिक है
Harinarayan Tanha
धरा प्रकृति माता का रूप
धरा प्रकृति माता का रूप
Buddha Prakash
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
🥀 *✍अज्ञानी की*🥀
🥀 *✍अज्ञानी की*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Loading...