Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Nov 2018 · 1 min read

माँ तुम तो अनमोल हो !

जब खुली बंद पलकें मेरी, तेरा ही दीदार हुआ
देखा जब तुझको माँ, मुझे पहली नज़र का प्यार हुआ |

नन्हा सा था जिस्म मेरा, तुमने ही जान तो डाला था
दोनो हाथों से समेटे हुए, माँ आँचल में मुझे सम्भाला था |

तुम ही शीतल तुम ही निर्मल, तुम अंबर तुम ही धरातल
तुम हो मधुर ध्वनि सरगम की, तुम हो बहता झरना कलकल|

ना रूकती हो, ना थकती हो, निस्वार्थ सबका ध्यान रखती हो
जिंदगी की धूप और छाँव सब सहती हो, मुँह से एक आह भी ना कहती हो |

सोचती थी कई बार माँ कैसे ये सब कर जाती हो
पूछती थी कई बार माँ मुझे ये राज क्यूँ ना बताती हो |

वक्त ने सब समझा ही दिया, माँ का मोल बतला ही दिया
तुम हो मेरी श्वास माँ, तुम धड़कन तुम आस माँ
देवों की छवि, ममता की मूरत,
ना देखी तुमसे प्यारी कोई सूरत |

आँचल में समेटे बैठी हूँ आज मैं एक नन्ही सी जान को
महसूस कर सकती हूँ माँ तुम्हारे उन अरमान को |

आह निकले जब बच्चे की तो, दर्द से माँ ही गुजरती है
जब एक दर्द में बच्चा रोये, जाने कई पीड़ाओ से माँ गुजरती है |

ना लगा सकता माँ कोई तेरी ममता का मोल
सबको जीवन देने वाली माँ तू तो है अनमोल !

अप्रकाशित एवं मौलिक –
मनीषा दुबे
सिंगरौली (म.प्र.)

12 Likes · 29 Comments · 1246 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—1.
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—1.
कवि रमेशराज
जै जै जग जननी
जै जै जग जननी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बचा ले मुझे🙏🙏
बचा ले मुझे🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मानसिक शान्ति के मूल्य पर अगर आप कोई बहुमूल्य चीज भी प्राप्त
मानसिक शान्ति के मूल्य पर अगर आप कोई बहुमूल्य चीज भी प्राप्त
Paras Nath Jha
3433⚘ *पूर्णिका* ⚘
3433⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
बहुत दिनों के बाद उनसे मुलाकात हुई।
बहुत दिनों के बाद उनसे मुलाकात हुई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ज़माने की बुराई से खुद को बचाना बेहतर
ज़माने की बुराई से खुद को बचाना बेहतर
नूरफातिमा खातून नूरी
हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
पूर्वार्थ
दिल से कह देना कभी किसी और की
दिल से कह देना कभी किसी और की
शेखर सिंह
ईमानदारी की ज़मीन चांद है!
ईमानदारी की ज़मीन चांद है!
Dr MusafiR BaithA
क्यूँ भागती हैं औरतें
क्यूँ भागती हैं औरतें
Pratibha Pandey
"आशा" के कवित्त"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
अनघड़ व्यंग
अनघड़ व्यंग
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*जाते हैं जग से सभी, राजा-रंक समान (कुंडलिया)*
*जाते हैं जग से सभी, राजा-रंक समान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
संवेदना अभी भी जीवित है
संवेदना अभी भी जीवित है
Neena Kathuria
तेरे दुःख की गहराई,
तेरे दुःख की गहराई,
Buddha Prakash
नववर्ष।
नववर्ष।
Manisha Manjari
संत कबीरदास
संत कबीरदास
Pravesh Shinde
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
VINOD CHAUHAN
मां - स्नेहपुष्प
मां - स्नेहपुष्प
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
जागे जग में लोक संवेदना
जागे जग में लोक संवेदना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"तेरे इश्क़ में"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी राहों में ख़ार
मेरी राहों में ख़ार
Dr fauzia Naseem shad
ये पैसा भी गजब है,
ये पैसा भी गजब है,
Umender kumar
#मेरे_दोहे
#मेरे_दोहे
*Author प्रणय प्रभात*
సంస్థ అంటే సేవ
సంస్థ అంటే సేవ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
बालचंद झां (हल्के दाऊ)
बालचंद झां (हल्के दाऊ)
Ms.Ankit Halke jha
कहां जाऊं सत्य की खोज में।
कहां जाऊं सत्य की खोज में।
Taj Mohammad
शुभ मंगल हुई सभी दिशाऐं
शुभ मंगल हुई सभी दिशाऐं
Ritu Asooja
नारी तू नारायणी
नारी तू नारायणी
Dr.Pratibha Prakash
Loading...