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26 Aug 2020 · 2 min read

महारानी पद्मावती

अस्मिता के लिए हो गई थी सती
तर्ज:- मेरे रश्के क़मर

अस्मिता के लिए हो गई थी सती,
ऐसी थी अपनी महारानी पद्मावती।
ले हजारों को उसने था जौहर किया,
छोड़ संसार को पा गई सद्गति।। 0 ।।
अस्मिता के लिए…..
मेरे भारत की नारी का इतिहास है,
उसका बलिदान अनुपम है और खास है।
आग में कूद कर प्राण त्यागे मगर,
अस्मिता अपनी हरगिज नहीं छूने दी।। 1 ।।
अस्मिता के लिए…..
पुण्य गाथा है सुन लो ये चित्तौड़ की,
रानी पद्मा की सुन्दरता बेजोड़ थी।
देख दर्पण में खिलजी था पागल हुआ,
खूबसूरत बला की महारानी थी।। 2 ।।
अस्मिता के लिए…..
उनको पाने को आतुर हुआ श्वान था,
अपनी ताकत पै भी उसको अभिमान था।
बोला पद्मा को मेरे हवाले करो,
वरना तैयारी कर लीजिए नाश की।। 3 ।।
अस्मिता के लिए…..
शेर कोई कभी घास खा सकता न,
शेरनी को कोई श्वान पा सकता न।
बोल पद्मा के जब क्षत्रियों ने सुने,
लड़ने को अपनी तलवार झट खींच ली।। 4 ।।
अस्मिता के लिए…..
इस तरह से भी जब बात बन न सकी,
कायराना चली उसने एक चाल थी।
कैद धोखे से किया रतन सिंह को,
बदले में माँग ली उसने फिर पद्मिनी।। 5 ।।
अस्मिता के लिए…..
इससे रानी हुई खूब मजबूर थी,
सोच उसने दिखाई बहुत दूर की।
नारी के वेश में भेजे रजपूत थे,
गोरा-बादल ने भीषण लड़ाई लड़ी।। 6 ।।
अस्मिता के लिए…..
देखकर इसको खिलजी हुआ सन्न था,
उसका अभिमान कर डाला विच्छिन्न था।
छूटकर राणा वापस महल आ गए,
आ के वापस पुनः सेना तैयार की।। 7 ।।
अस्मिता के लिए…..
जो लड़ाके थे वो वीरगति पा गये,
देश की रक्षा में काम सब आ गये।
दुष्ट ख़िलजी पुनः आगे बढ़ने लगा,
किन्तु राणा की सेना भी तैयार थी।। 8 ।।
अस्मिता के लिए…..
वीर क्षत्राणी ने पथ ये अपनाया था,
अग्नि का कुण्ड तैयार करवाया था।
ले हजारों को कूदी वो अंगारों में,
गाथा दुनियाँ में मिलती ना इससे बड़ी।। 9 ।।
अस्मिता के लिए…..
इसके पश्चात भीषण हुआ युद्ध था,
अपने राणा भी थे खिलजी भी क्रुद्ध था।
स्वर्ग की ओर रजपूत लड़कर गए,
खिलजी और उसकी सेना महल में बढ़ी।। 10 ।।
अस्मिता के लिए…..
जीतने पर हुआ उसको अभिमान था,
किन्तु अन्दर पड़ा सारा वीरान था।
रानी पद्मा के दर्शन तलक न हुए,
बस चिताएँ वहाँ उसको जलती मिलीं।। 11 ।।
अस्मिता के लिए…..
सिर पकड़ कर के धरती पै वो गिर गया,
नीच कायर वहाँ जीते जी मर गया।
और रोने लगा अपनी गलती पर वो,
राह पद्मा ने पकड़ी मगर स्वर्ग की।। 12 ।।
अस्मिता के लिए…..
ऐसा बलिदान था देश की नारी का,
जिस पै भारत ये सारा ही बलिहारी था।
कीर्ति उनकी जग में रहेगी सदा,
उनके गौरव की “रोहित” ने गाथा लिखी।। 13 ।।
अस्मिता के लिए…..

✍️ रोहित आर्य

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 5 Comments · 502 Views
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