महफ़िल
महफ़िल
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ये वक़्त की महफ़िल
है जनाब
सब आयेंगे
मिलने वाले
तुम भी आना
घर पर ही रख आना
अपना अभिमान
अपना ग़रूर
अगली बार मिलो
थोड़ी गर्माहट
अपने पास रखो
मन के मैल को धो दो
हाँ, छोड़ कर आना
अपना फ़ितूर
ऐसे न मिलना
मूंह फेर के चल दो
मैं देखू् उधर
तुम राह बदल दो
मन में हो गांठ
उसे खोल लदो
मिलने की गुंजाईश
थोड़ी ही सही
रख लीजिये हजूर
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राजेश’ललित’शर्मा
स्वलिखित
मौलिक