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5 Jan 2017 · 1 min read

महक सा गया

महक सा गया
*
वक्त गुजरा सिखाकर सबक सा गया
एक पत्ता हवा से सरक सा गया
*
ओस की बूँद सुन्दर लगी फूल पर
अश्क जैसे खुशी का छलक सा गया
*
डाल पर हर कली झूमने लग पड़ी
मस्तमन श्याम भंवरा बहक सा गया
*
बह चली जब हवा फूल को चूमकर
खुशनुमा हो चमन भी महक सा गया
*
पंछियों से भरा है शजर देखिए
शाम ढलने लगी मन चहक सा गया
*
*************************
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

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