Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Dec 2020 · 2 min read

भोपाल गैस त्रासदी की ३६ बी बरसी

दो 3 दिसंबर 1984 की बात थी
काली घनी अंधेरी जाड़े की रात थी
यूनियन कार्बाइड कारखाने में
मिथाइल आइसोसायनाइड जहरीली गैस रिस रही थी
भोपाल में कालरात्रि मौत का तांडव कर रही थी
हवा में जहर घुल गया था गहरे कोहरे जैसा धुआं था
जहां जहां जाता था मौत की नींद सुला जाता था
रात का वक़्त था प्रशासन अशक्त था
ना कोई जानकारी थी ना ही समझदारी थी
संपर्क में आते ही आंखों में तेज जलन
सांस फूल जाती थी मिर्ची जलने जैसी खांसी थी
आंखें सूज जाती थी दम घुट रहा था
जैसे ही अफरा-तफरी मची लोग भागे इधर उधर
क्या करें इससे सब थे बेखबर
सब बदहवास भागे जा रहे थे
भागते भागते मारे जा रहे थे
जो गिर गया या छूट गया उसको भी नहीं उठा रहे थे
शासन प्रशासन सभी भाग गए थे
सभी अपने हाल पर थे
चलता रहा रात भर मौत का तांडव
लोग भागते रहे गिरते रहे मरते रहे
भोपाल लाशों से पट गया था
भोर होते होते मौत का सन्नाटा पसर गया था
परिवार के परिवार समा गए मौत के आगोश में
बच्चे ढूंढ रहे थे मां बाप को लाशों के ढेर में
अस्पताल परिसरों में मरीज और लाशें पड़े थे
लोग बेबस और निस्सहाय खड़े थे
पशु पक्षी जानवर लाशों के अंबार लगे थे
रेलें बसें सभी यातायात बंद पड़े थे
आंखों में ठंडा पानी और बर्फ लगा रहे थे
अपनी बेबसी और लाचारी पर रो रहे थे
ऐसे जहरीले डरावने समाचार दुनिया में
भोपाल के चल रहे थे
दूसरे-तीसरे दिन जल रही थीं सामूहिक चितायें
सामूहिक दफन क्रियाएं
दिल दहला देने वाले दृश्य
विचलित कर देने वाले श्रव्य
हादसे से उबर भी नहीं पाए थे
कि अफवाह फैल गई, अब तो पूरी टंकी ही फट गई
सारे भोपाल में फिर अफरा तफरी मच गई
लोग बदहवास भाग रहे थे
बच्चा गाड़ी से गिरा दूसरी गाड़ी चढ़ गई
नन्ही जान फिर निकल गई
हवा पानी सब्जियां सब दूषित हो गए
लोग भोपाल छोड़कर बाहर भाग गए
सालों लग गए थे हालात सामान्य होने में
अपनों को खोने का गम भुलाने में
गैस खाए हुए लोग आज भी त्रासदी झेल रहे हैं
तरह तरह की गंभीर बीमारियों के शिकार
तिल तिल मर रहे हैं
अंतहीन दर्दीली लंबी कहानी है
कंपनी शासन प्रशासन की लापरवाही की निशानी है
हजारों मारे गए पांच लाख प्रभावित हो गए
विश्व की भीषण औद्योगिक त्रासदी की कहानी है
हे भगवान ऐसी त्रासदी कभी ना आए
मेरी परमात्मा से हैं यही दुआएं

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 321 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all
You may also like:
संगीत की धुन से अनुभव महसूस होता है कि हमारे विचार व ज्ञान क
संगीत की धुन से अनुभव महसूस होता है कि हमारे विचार व ज्ञान क
Shashi kala vyas
जो चाहने वाले होते हैं ना
जो चाहने वाले होते हैं ना
पूर्वार्थ
ज़िंदगी जीना
ज़िंदगी जीना
Dr fauzia Naseem shad
-शेखर सिंह ✍️
-शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह
राणा सा इस देश में, हुआ न कोई वीर
राणा सा इस देश में, हुआ न कोई वीर
Dr Archana Gupta
मैं हर इक चीज़ फानी लिख रहा हूं
मैं हर इक चीज़ फानी लिख रहा हूं
शाह फैसल मुजफ्फराबादी
महाप्रलय
महाप्रलय
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
कुंडलिया - गौरैया
कुंडलिया - गौरैया
sushil sarna
सीनाजोरी (व्यंग्य)
सीनाजोरी (व्यंग्य)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
उम्र थका नही सकती,
उम्र थका नही सकती,
Yogendra Chaturwedi
19. कहानी
19. कहानी
Rajeev Dutta
*पूजा का थाल (कुछ दोहे)*
*पूजा का थाल (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
ये भी क्या जीवन है,जिसमें श्रृंगार भी किया जाए तो किसी के ना
ये भी क्या जीवन है,जिसमें श्रृंगार भी किया जाए तो किसी के ना
Shweta Soni
तेरा फिक्र
तेरा फिक्र
Basant Bhagawan Roy
मिलेंगे कल जब हम तुम
मिलेंगे कल जब हम तुम
gurudeenverma198
एक सही आदमी ही अपनी
एक सही आदमी ही अपनी
Ranjeet kumar patre
सूरज सा उगता भविष्य
सूरज सा उगता भविष्य
Harminder Kaur
* विजयदशमी *
* विजयदशमी *
surenderpal vaidya
पचीस साल पुराने स्वेटर के बारे में / MUSAFIR BAITHA
पचीस साल पुराने स्वेटर के बारे में / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
2399.पूर्णिका
2399.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
रेल दुर्घटना
रेल दुर्घटना
Shekhar Chandra Mitra
"तू है तो"
Dr. Kishan tandon kranti
रूपसी
रूपसी
Prakash Chandra
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
■ मिली-जुली ग़ज़ल
■ मिली-जुली ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
प्यार लिक्खे खतों की इबारत हो तुम।
प्यार लिक्खे खतों की इबारत हो तुम।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
शक्ति की देवी दुर्गे माँ
शक्ति की देवी दुर्गे माँ
Satish Srijan
जीवन मंत्र वृक्षों के तंत्र होते हैं
जीवन मंत्र वृक्षों के तंत्र होते हैं
Neeraj Agarwal
हे भगवान तुम इन औरतों को  ना जाने किस मिट्टी का बनाया है,
हे भगवान तुम इन औरतों को ना जाने किस मिट्टी का बनाया है,
Dr. Man Mohan Krishna
चुनावी वादा
चुनावी वादा
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
Loading...