Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jun 2020 · 1 min read

भेद मगर खुलकर आएगा

चाहे जितना स्वांग रचा ले भेद मगर खुलकर आएगा।

सुख की छाँव, दमकते मुखड़े, दुख की धूप उजागर दुखड़े।
जीवन सरिता की धारा में, पाँव लहर पाते ही उखड़े।
जब सिर पर सूरज दहकेगा, असली रंग नज़र आएगा।

सच है आते जाते सुख दुख, थोड़े अनुभव कह जाते हैं।
सुख के साथी दुख आते ही, छोड़ भंवर में बह जाते हैं।
कड़ी धूप में या बारिश में नकली रंग उतर जाएगा।

क्यों ईश्वर को भूल गया है, जग से करनी छिपा रहा है।
मिथ्या नेकी की बातों को, बढ़ा चढ़ाकर बता रहा है।
जो स्वकर्म से भाग्य कमाया, वह तुझ तक चलकर आएगा।

नहीं साँच को आँच सूक्ति से, इतना भाव मुखर आता है।
प्रबल अनल में तप तपकर भी, कुन्दन खरा निखर आता है।
सच का कबच अगर है तन पर, बिल्कुल नहीं असर आएगा।

संजय नारायण

Language: Hindi
Tag: गीत
5 Likes · 1 Comment · 244 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
2- साँप जो आस्तीं में पलते हैं
2- साँप जो आस्तीं में पलते हैं
Ajay Kumar Vimal
प्यार,इश्क ही इँसा की रौनक है
प्यार,इश्क ही इँसा की रौनक है
'अशांत' शेखर
प्रबुद्ध कौन?
प्रबुद्ध कौन?
Sanjay ' शून्य'
वो काजल से धार लगाती है अपने नैनों की कटारों को ,,
वो काजल से धार लगाती है अपने नैनों की कटारों को ,,
Vishal babu (vishu)
!! एक चिरईया‌ !!
!! एक चिरईया‌ !!
Chunnu Lal Gupta
*
*"हिंदी"*
Shashi kala vyas
संसार में मनुष्य ही एक मात्र,
संसार में मनुष्य ही एक मात्र,
नेताम आर सी
Mujhe laga tha irade majbut hai mere ,
Mujhe laga tha irade majbut hai mere ,
Sakshi Tripathi
*कहां किसी को मुकम्मल जहां मिलता है*
*कहां किसी को मुकम्मल जहां मिलता है*
Harminder Kaur
जिस्म से जान निकालूँ कैसे ?
जिस्म से जान निकालूँ कैसे ?
Manju sagar
"वेदना"
Dr. Kishan tandon kranti
*धाम अयोध्या का करूॅं, सदा हृदय से ध्यान (नौ दोहे)*
*धाम अयोध्या का करूॅं, सदा हृदय से ध्यान (नौ दोहे)*
Ravi Prakash
दोहे. . . . जीवन
दोहे. . . . जीवन
sushil sarna
गर्मी आई
गर्मी आई
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Experience Life
Experience Life
Saransh Singh 'Priyam'
वो पहली पहली मेरी रात थी
वो पहली पहली मेरी रात थी
Ram Krishan Rastogi
मेरी बातें दिल से न लगाया कर
मेरी बातें दिल से न लगाया कर
Manoj Mahato
इतना तो अधिकार हो
इतना तो अधिकार हो
Dr fauzia Naseem shad
कुछ तो याद होगा
कुछ तो याद होगा
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
2612.पूर्णिका
2612.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जितना तुझे लिखा गया , पढ़ा गया
जितना तुझे लिखा गया , पढ़ा गया
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
शब्द शब्द उपकार तेरा ,शब्द बिना सब सून
शब्द शब्द उपकार तेरा ,शब्द बिना सब सून
Namrata Sona
सावन मे नारी।
सावन मे नारी।
Acharya Rama Nand Mandal
पतझड़ के मौसम हो तो पेड़ों को संभलना पड़ता है
पतझड़ के मौसम हो तो पेड़ों को संभलना पड़ता है
कवि दीपक बवेजा
गुस्सा सातवें आसमान पर था
गुस्सा सातवें आसमान पर था
सिद्धार्थ गोरखपुरी
यहाँ सब काम हो जाते सही तदबीर जानो तो
यहाँ सब काम हो जाते सही तदबीर जानो तो
आर.एस. 'प्रीतम'
स्याह एक रात
स्याह एक रात
हिमांशु Kulshrestha
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
Atul "Krishn"
नश्वर संसार
नश्वर संसार
Shyam Sundar Subramanian
Loading...